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________________ - ,१११ अन्यतीथिक ५० रहते हैं ॥१॥ ते० उस काल ते. उस समय में स० श्रवण भ० भगान्त २० महावीर आ. आदी के करने वाले जा. यावत् म पधारे जा. यावत् परिषदा ५० पीछी गई ॥२॥ते. उतई २७ काल ते० उस समय में स० श्रमण भ. भगवन्त म० महावीर के व. बहुत अं० अंतेवासी थे० स्थविर भ. भगवन्त जा० जातिसंपन्न कु० कुलसंपन्न ज. जैले वि. दसरा शतक में जा. यावत् जी०जीवित की आ. आशा म० मरण भ० भय वि० रहित स श्रमण भ• भगन्यत म. महावीर की अ० नजदीक उ० ऊर्श्वनानु अ० अधोशीर्ष झा० ध्यान ध्याते सं० संयम से त० तप से अ आत्मा को भा भावते जा यावत् ॥ १॥ तेणं कालेणं तेणं समएण समणे भगवं महावीरे आदिगरे जाव समोसढे जाव परिसा पडिगया ॥ २ ॥ तेणं कालेणं, तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीररस बहवे अंतेवासीथेरा भगवंतो जाइसंपण्णा कुलसंपण्णा जहा बिइयसए जाव जीवि यासा मरणभय विप्पमुक्का, समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूरसामंते उड्डेजाणू अहोसिरा भावार्थ उद्यान की नजदीक बहुत अन्यतीथिक रहते थे ॥ १॥ उस काल उस समय में धर्म की आदि के 50 करनेवाले श्री महावीर स्वामी पधारे, परिषदा वंदने को आई, और धर्मोपदेश सुनकर पीछी गई ॥२॥ Gउन काल उस समय में जाति संपन्न, कल संपन्न वगैरह जो दूसरे शतक में कहा वैसे ही जीवित की आशा व मरण भय से रहित ऐसे महावीर स्वामी के अंतेवासी बहुत स्थविर भगांत महावीर स्वामी की 428 पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती) सूत्र 888 > आठवा शतकका सातवा उद्दशा
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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