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शब्दार्थ से वह के० कैसे भ० भगवन् ए. ऐसा बु० कहा जाता है आ० आराधक नो० नहीं वि. विराधक
गो• गौतम से० वह ज जैसे के० कोई पु० पुरुष ए० एक म० बडा उ० बकरेके वाल ग० गज के बाल स. सनके बाल क० कापूम के बाल त० तृणके अग्र भाग को दु० द्विधा ति० त्रिधा सं० संख्यात छिन
छेदकर अ० अग्निकाया में प० डाले से वह गों० गौतम छि० छेदाता छि० छेदा ५० डालता ५० E डाला द० जलाता द० जलाया ३० कहना हं० हां भ० भगवन् छि• छेदाता छि० छेदाया जा० यावत् हैद० जलाया व कहना से० वह ज. जैसे के कोई पुरुष व वस्त्र अ० नया धो० धोया हुवा तं० उत्तीबर्णमात्र मं० मजोठरंगके दो० पात्र में प० डाले से वह गो० गौतम उ० उखेलता उ० उखेला ५०डालता | सणलोमंबा, कप्पासलोमंवा, तणसयंवा, दहावा तिहावा संखेजहावा छिदित्ता अग
णिकायसि पक्खिवेजा सेणणं गोयमा ! छिज्जमाणे छिन्ने, पक्खिप्पमाणे पक्खित्ते, है, दज्झमाणे दड्डेत्ति वत्तव्वंसिया ? हंता भगवं ! छिजमाणे छिण्णे जाव दड्डेत्ति वत्तव्वं
सिया, ॥ से जहा नामए केइपुरिसे वत्थं अहतं धोयंवा तंतुग्गयंवा मंजिट्ठदोणीए । भावार्थलोम, व तृणाग्र के दो,तीन यावत् संख्यात टुकडे करके अनिमें डाले तब अहो गौतम! उसे छेदते हुए छेदा,
डालते हुवे डाला, व जलते हुवे जला क्या कहना ? हां भगवन् ! छेदते हुए छेदा, डालते हुवे डाला व जलते हुवे जला कहना. दूसरा दृष्टांत जैसे कोई पुरुष किसी नविन वस्त्र को, धोया हुवा वस्त्र को, अथवा
** अनुवादक बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमालक ऋषिजी -
* प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *