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________________ मत्र O पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती) मूत्र मणसा, अहवा न कारवेइ वयसा, अहवा न कारवेइ कायसा, । अहवा करंतं नाणुजाणइ मणसा, करतं नाणुजाणइ वयसा, करंतं नाणुजाणइ कायसा ॥ पडुप्पण्णं संवरेमाणे किं तिविहेणं संवरेइ ? एवं जहा पडिक्कमणणं एगूणवण्णं भंगा भणिया, संवरमाणे वि एगूणवण्णं भंगा भाणियन्वा ॥ अणागयं पच्चक्खमाणे किं तिविहं तिथिहेणं पञ्चक्खाइ, एवं तंचव भंगा एगूणवणं भाणियव्वा जाव. अहवा करंतं नाणु जाणइ कायसा ॥ ३ ॥ समणोवासगस्सणं भंते ! पुवामेव थूलए मुसावाए पच्चक्खाए भवइ सेणं भंते ! पच्छा पच्चाइक्खमाणे एवं जहा पाणाइवायरस सीयालं भंग सयं भणियं तहा मुसारायस्सवि भाणियव्वं ॥ एवं अदिण्णादाणस्सवि, एवं करावे नहीं वचन से काया से ३८ अनमोदे नहीं मन से वचन मे ३१ अनुमोदे नहीं मन से काया से १४० अनुमोदे नहीं वचन से काया से. एक करन एक योग से प्रतिक्रमता हुवा ४१ करे नहीं मन से ४२ करे नहीं वचन से ४३ करे नहीं काया से ४४ करावे नहीं मन से ४५ करावे नहीं वचन से ४६ कगवे नहीं काया से ४७ अनुमोदे नहीं मन से ४८ अनुमोदे नहीं वचन से और ४९ अनुमादे नहीं काया से. अतीत काल के प्रतिक्रमण करने के जैसे ४१ भांगे कहे वैसे ही वर्तमान काल के संबर के Rodri आठवा शतकका पांचवा उद्देशा भावार्थ 80
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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