SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1115
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 48 पंचमांग विवाह पण्णत्ति (भगवती) सूत्र 4082 पडिक्कममाणे किं तिविहं तिविहेणं पडिक्कमइ, तिविहं दुविहेणं पडिक्कमइ, तिविहं एगविहेणं पडिक्कमइ, दुविहं तिविहेणं पडिक्कमइ, दुविहं दुविहेणं पडिक्कमइ, दुविहं एगविहेणं पडिक्कमइ, एगविहं तिविहेणं पडिक्कमइ, एगविहं दुविहेणं पडिक्कमइ, १०८५ एगविहं एगविहेणं पडिक्कमइ ? गोयमा ! तिविहं तिविहेणं पडिक्कमइ, तिविहंवा दुविहेणं पडिकमइ तंचेव जाव एगविहं एगविहेणं पडिक्कमइ ॥ तिविहं तिविहेणं पडिक्कममाणे नकरेइ नकारवेइ करतं नाणुजाणइ मणसा वयसा कायसा तिविहं दुविहेणं पडिक्कममाणे नकरेइ, नकारवेइ, करंतं नाणुजाणइ, मणसा वायसा । अहवा नकरेइ नकारवेइ करंतं नाणुजाणइ, मणसा कायसा । अहवा नकरेइ, नकारवेइ, करन एक योग से प्रतिक्रमता है ? अहो गौतम ! मन, वचन व काया इन तीन योग से व करे नहीं, करावे नहीं करते को अनुमोदे नहीं ऐसे तीन करन से प्रतिक्रमता है, वैसे ही तीन करन दो योग से प्रतिक्र-390 मता है यावत् करना नहीं मन से ऐसे एक करन एक योग से प्रतिक्रमता है. तीन करन तीन योग से मतिक्रमता हुवा १ करे नहीं, करावे नहीं, करते को अनुमोदे नहीं, मन, वचन व काया से तीन करन दो योग से प्रतिक्रयता हुवा २ करे नहीं, करावे नहीं, करते को अनुमोदे नहीं मन व वचन से ३ करे नहीं, 30-%8 आठवा शतकका पांचवा उद्देशा भावाथे 380
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy