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शब्दार्थ
48 अनुवांदक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी
जीव वाले अ० असंख्यात जी जीव वाले दु० दोप्रकार के ए. एक गुठली वाले ब० बहुगुठली वाले से वह किं कौन से एक एक गुठली वाले अ० अनेक प्रकार के तं० वह ज. जैसे नि. निम्ब अं. आम्र जं. जामुन ज. जैसे प. पनवणा में जा. यावत् फ. फल व. बहु जीव वाले से वह ब० बहु वीज वाले से वह अ० असंख्यात जी• जीव वाले से वह कि कौन से अ० अनंत जी जीव वाले
एरी जेथावण्णे तहप्पगारा, सेत्तं संखजजीविया ॥ सेकिंतं असंखेज जीविया ? . असंखेज जीविया दुविहा पण्णत्ता तं०एगट्ठिया, बहुट्ठियाय । से किंतं एगट्ठिया? एगट्ठिया अणेगविहा प०, तंजहा निबंबजंबु एवं जहा पण्णवणापए जाव फला. बहु
बीयगा, सेत्तं बहुबीयगा, सेत्तं असंखेज जीविया ॥ से किंतं अणेतजीविया ? जीववाले. अहो भगवन् ! संख्यात जीववाले वृक्ष किस को कहते हैं ? संख्यात जीववाले वृक्ष के अनेक भेद कहे हैं. उन के नाम तालवृक्ष तमालवृक्ष, तक्कलीवृक्ष, तेतलीवृक्ष, लेपवृश. पालवृक्ष. कल्याणवृक्ष, शालवृक्ष, केतकी वृक्ष, कदली वृक्ष, चर्भ वृक्ष, भुयवृक्ष, गरुलवृक्ष, लवंग वृक्ष, पुंगी फल, खजुर, नालियेर, और इस प्रकार के अन्य वृक्ष के नाम भी पनवणा सूत्र से जानना. ये संख्यात जीववाले वृक्ष कहे. अब असंख्यात जीवबाले वृक्ष के दो भेद १ जित फल में एक गुठली होवे वैसे एक गुठलीवाले और १२ जिप्त फल में बहुत गुठली होवे वैसे वहुत गुठलीवाले. अहो भगवन् ! एक गुठलीवाले वृक्ष के कितने
* प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *
भावार्थ