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________________ शब्दार्थ का कितने प्रकार के भं० भगवन् रु. वृक्ष प० प्ररूपे गो. गौतम तिः तीन प्रकार के सं० संख्यात जी० जीव वाले अ० असंख्यात जी० जीव वाले अ० अनंत जी० जीव वाले से वह सं० संख्यात जी० Y जीव वाले गो० गौतम सं० मख्यात जी• जीव वाले अ.अनेक प्रकार के ल०वह कि० कौन से ता ताल. त. तमाल त तकलि तें० तेतलि ज. जैने ५० पनवणा में जा. यावत् ना० नालीएरी जे. जो अ.अन्य ७ | त० तथा प्रकार के मे० वह सं० संख्यात जी जीव वाले से वह कि कौन मे अ० असंख्यात जी. सेवं भंते भंतेत्ति ॥ अट्ठम सयस्स बीओ उद्देसो सम्मत्तो ॥ ८ ॥ २ ॥ कइविहाणं मंते ! रुक्खा पण्णत्ता? गोयमा! तिविहा रुक्खा प० तं० संखेजजीविया, असंखज जीविया, अनंत जीविया ॥ से किंतं संग्वेज जीविया ? गोयमा ! संखेज जीविया अणेगविहा ५०० ताले तमाले तत्काल तेताले जहा पण्णवणाए,जाव नालि. भावार्थ E केवल ज्ञान के पर्यव अनंतगुने सर्व भाव समस्त द्रव्य पर्याय जो जाने. अहो भगवन् ! आपके वचन सत्य हैं यह आठवा शतक का दूसरा उद्देशा पूर्ण हुवा ॥ ८ ॥२॥ 902 गत उद्देशे के अंत में ज्ञान पर्याय पलटने का कहा. जैसे ज्ञान की पर्याय पलटती है वैसे ही वृक्षादि । ११ पुद्गलों की पर्याय पलटती है इसलिये वृक्षादिक का प्रश्न करते हैं. अहो भगवन् ! वृक्ष के किनने भेद । कहे हैं ? अहो गौतम ! वृक्ष के तीन भेद कह हैं, १ संख्यात जीववाले २ असंख्यात जीववाले व ३ अनंत 48-49 पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भवगती ) सूत्र Barta आठवा शतक का तीसरा उद्देशा hogin
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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