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________________ mmmmmmmmmmmmm १०६३ अनुवादक-बालब्रह्मचरािमुनि श्री अमोलक ऋषिजी + AAAAwwwwwwwwwwwwwwww पंचनाणाई तिण्णि अण्णाणाई भयणाए, आभिणिबोहियणाण सागारोवउत्ताणं भंते ! चत्तारि नाणाई भयणाए । एवं सुयनाण सागारोवउत्तावि, ओहिनाण सागारोवउत्ता जहा ओहिनाण लद्धिया । मणपजवनाण सागारोवउत्ता जहा मणपज्जवनाण लद्धिया ॥ केवलणाणसागारोवउत्ता जहा केवलनाणलद्धिया।। मइअण्णाण सागारोवउत्ताणं तिण्णि अण्णाणाई भयणाए, एवं सुयअण्णाणसागरोवउत्तावि, विभंगनाणसागरोवउत्ताणं तिणि अण्णाणाई नियमा । अणागारोवउत्ताण भंते ! जीवा किण्णाणी अण्णाणी ? पंचणाणाई तिण्णि अण्णाणाइं भयणाए । एवं चक्खुदंसण अचखुदसण अणागारोवउत्तावि, नवरं चत्तारि नाणाइं तिण्णि अण्णाणाइं भयणाए । ओहिदसण अणागारोवउत्ताणं पुच्छा ? गोयमा ! नाणीवि, अण्णाणीवि, जे नाणी ते अत्थेगइया तिनाणी, अत्थेगइया चउनाणी, जे तिनाणी ते आभिणियोहियनाणी, सुयनाणी, इज्ञान श्रतज्ञान अवधि व मनापर्यव ज्ञान में चार ज्ञान की भजना. केवलज्ञान साकारोपयुक्त में केवल ज्ञान की नियमा. मतिअज्ञान श्रतअज्ञान के साकारोपयुक्त में तीन अज्ञान की भजना विभंग ज्ञान के साकारोपयुक्त में तीन अज्ञान की नियमा. अनाकारोपयुक्त में पांच ज्ञान तीन अज्ञान की भजना. चक्षु *प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी चालाप्रसादजी * भावार्थ
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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