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भावार्थ
पंचमाङ्ग विवाह पण्णति (भगती) सूत्र
नाणीव अण्णाणीव, जे नाणी ते अत्थेगइया दुनाणी अत्थेगइया एगनाणी, जे दुनाणी ते आभिणिबोहिय नाणी भुयनाणी, जे एगनाणी ते केवलनाणी, जे अण्णाणी ते नियमा दुअण्णाणी तं मति अण्णाणी सुयअण्णाणी ॥ चक्खिदिय घादिडिया अद्वियाणं जहेब सोईदियलद्धिया अलडिया । जिब्भिदिय लद्धिया चत्तारि नाणाई तिष्णि अण्णाणाई भयणाए || तस्स अलद्धियाणं पुच्छा ? गोयमा ! नाणीवि, अण्णाणीवि, जे नाणी ते नियमा एगनाणी - केवलणाणी, जे अण्णाणी ते नियमा दुअण्णाणी तंजहा मइ अण्णाणी सुयअण्णाणीया ||१. सिंदिय लडियाय अलद्धियाय जहा इंदिल दिया अलड़िया ॥ १८ ॥ सागारोवउत्ताणं भंते! जीवा किंणाणी अण्णाजी {न्द्रिय होते है और एक केवलज्ञानवाले अनेन्द्रिय होते हैं वहां श्रोत्रेन्द्रिय नहीं होने से उस के अलद्धिये गिने गये हैं और दो अज्ञान की नियमा विकलेन्द्रिय आश्री. चक्षुइन्द्रिय व घ्राणेन्द्रिय का भी ऐते ही जानना. रसनेन्द्रिय के लडिया में चारज्ञान तीन अज्ञान की भजना उस के अलद्धिये में एक केवलज्ञान व दो अज्ञान की नियमा है. स्पर्शेन्द्रिय के लडिये में चार ज्ञान तीन अज्ञान की द्विये में केवलज्ञान की नियमा है ॥ १८ ॥ साकारोपयुक्त में पांच ज्ञान तीन
भजना है, उस के अल अज्ञान की भजना मति
आठवा शतकका दूसरा उद्देशा 42
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