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________________ सूत्र भावार्थ 45 अनुवादक - बालब्रह्मचारीमुनि श्री अमोलक ऋषिनी * प्रकाशक- राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी तस्स अलद्धिया नत्थि || सम्मदंसण लडियाणं पंचनाणाई भयणाए, तस्स अलडि. या तिणि अण्णाणाइं भयणाए, मिच्छादंसणलद्धियाणं भंते! पुच्छा ? गोयमा ! णो णाणी अण्णाणी, तिण्णि अण्णाणाई भयणाए, तस्त अलद्धियाणं भंते! किण्णाणी अण्णाणी ? गोयमा ! णाणीचि अण्णाणीवि, पंच नाणाई तिष्णि अण्णाणाई भयपाए | सम्मामिच्छादंसणलडिया अलद्धियाय जहा मिच्छादसण लडिया अलद्वियाय तहेव भाणियव्वा । चरित्तलद्धियाणं भंते! जीवा किंणाणी अण्णाणी ? गोयमा ! णाणी णो अण्णाणी, पंच नाणाई भयणाए, तस्स अलद्धियाणं मणपज्जव पांच ज्ञान की भजना है. उस के अलब्धिक में मनः पर्यव ज्ञान छोडकर चार ज्ञान की भजना, ( केवलज्ञान सिद्ध भगवंत आश्री लिया गया है. ) तीन अज्ञान की भजना मामायिक चारित्र लब्धिक में चार ज्ञान की भजना उस के अलब्धिक में पांच ज्ञान तीन अज्ञान की भजना सामायिक चारित्र जैसे छेदोपस्था(पनीय, परिहार विशुद्ध, सूक्ष्म पराय व यथाख्यात का जानना. मात्र यथाख्यात के लद्धिये में पांच ज्ञान कहना. चारित्राचारित्र के लद्धिये में तीन ज्ञान की भजना. क्योंकि चारित्राचारित्र्वाले श्रावक होते हैं? और श्रावक में क्वचित् तीन ज्ञान मीलते हैं. इस के अलद्धिये में पांच ज्ञान तीन अज्ञान की भजना है. १२५८
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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