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पंचमांग विवाह पण्णन्ति ( भगवती ) सूत्र
जाव कम्मासीविसे ? गोयमा ! नो यजत्ता असुर कुमार जाव कम्मासीविसे अपजत्ता असुर कुमार भरण पाती जाव कम्मासीविसे, एवं थणियकुमाराणं ॥' जइ वाणमंतर देव कम्मासीविसे किं पिसाय वाणमंतर देव कम्मासीविसे, एवं सव्वेसि अपजत्तगाणं जोइसियाणं सव्वेसि अपजत्तगाणं ॥ जइ वेमाणिय देव कम्मासीविसे किं कप्पोववण्णग वेमाणिय देव कम्मासीविसे, कप्पातीय वेमागिय देव कम्मासीविसे ? गोयमा ! कप्पोक्वण्णग वेमाणिय देव कम्मासीविसे, नो कप्पातीय वेमाणिय देव कम्मासीविसे ॥ जइ कप्पाववण्णग वेमाणिय देव कम्मासीविसे, किं
सोहम्मकप्योववण्णग जाव कम्मासीविसे, जाव अच्चुयकप्पोवग जाव कम्मासीविसे ? विष है ? अहो गौतम ! असुर कुमार यावत् स्थनित कुमार देव आशीविष है. यदि अमुर कुमार कर्म आशीविष है तो क्या अपर्याप्त या पर्याप्त कर्म आशीविष है ? अहो गौतम ! अपर्याप्त कर्म आशीविष हैं. परंतु पर्याप्त कर्म आशीविष नहीं है. ऐसे ही स्थनित कुमार का जानना, ऐसे ही पिशाचादि वाणव्यंतर अपर्याप्त अकर्माशीविष जानना. वैमानिक देव में कल्पोत्पन्न वैमानिक देव कर्माशीविष हैं परंतु कल्पानीत पानिक देव कर्माशीविष नहीं है. यदि कल्पोपन वैमानिक देव कर्माशीविष है तो क्या सौधर्म है।
आठया शतकका दूसरा उद्देशा !
भावाथ
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