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सूत्र
भावार्थ
+8 पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र
आसीविसे, जाव नो चउरिंदिय तिरिक्ख जोणिय कम्मासीविसे, पर्चिदिय तिरिक्ख जोणिय कम्मासीविसे ॥ जइ पंचिदिय जाव कम्मासीविसे किं सम्मुच्छिम पंचिंदिय तिरिक्ख जोणिय कम्म आसीविसे, गव्भवतिय पंचेंदिय तिरिक्खजोणिय कम्मासीविसे? एवं जहा वेउब्विय सरीरस्स भेओ जाव पंजत्तासंखेजवासारय गन्भवतिय कम्म भूमिय पंचिदिय तिरिक्खजोणिय कम्मासीविसे, नो अपज्जत्तअसंखेजवालाउय जाव कम्मासीवसे || जइ मणुस्स कम्मासीविसे किं सम्मुच्छिम मणुस्स कम्मासीविसे, गन्भवतिय मणुस्स कम्मासीविसे ? गोयया ! नो संमुच्छिम मणुस्स कम्मासीविसे गन्भवतिय मणुस्सा कम्मासीविसे एवं जहा वेउव्विय सरीरं जाव पज्जत्ता संखेजवासाय कम्म भूमिय गन्भवक्कंतिय मणुस्स कम्मासीविसे नो अपज्जन्त्ता पंचेन्द्रिय कर्माशीविष हैं ? अहो गौतम ! एकेन्द्रिय यावत् चतुरेन्द्रिय तिर्यंच आशीविष नहीं परंतु पंचेन्द्रिय तिर्यंच कर्म आशीविष है. यदि पंचेन्द्रिय कर्माशीविष है तो क्या संमूच्छिम तिर्यंच पंचेन्द्रिय कर्माशीविष है या गर्भज निर्यच पंचेन्द्रिय कर्माशीविष हैं ? अहो गौतम ! संमूच्छिम तिर्यच {पंचेन्द्रिय कर्माशीविष नहीं है परंतु गर्भज तिर्यंच पंचेन्द्रिय कर्माशीविष है. गर्भअ तिर्यंच में भी संख्यात वर्ष के आयुष्यवाले हैं परंतु असंख्यात वर्ष के आयुष्याले नहीं है. और संख्यात वर्ष के आयुष्यवाले
यात्रत्
- आठवा शतक का दूसरा उद्देशा
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