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________________ १०२२ १. अनुवादक-बालब्रह्मचारीमुनि श्री अमोलक ऋषिजी परिणएवा, अपजत्ता सव्वट्ठसिद्ध अणुत्तरोववाइय जाव कम्म सरीर मीसापरिणएवा ॥ २०॥ जइ वीससा परिणए किं वण्ण परिणए, गधपरिणए, रसपरिणए, फासपरिणए, संठाणपरिणए ? गोयमा ! वण्णपरि गएवा जाव सठाणपारणएवा ॥ जइ वण्णपरिणए कि कालवण्णपरिणए नीलवण्ण जाव सुकिल्लवण्णपरिणए ? गोयमा ! कालवण्णपरिणएवा जाव सुकिल्लवण्णपरिणएवा । जइ गंधपरिणए किं सुब्भिगंध परिणए दुब्भिगंध परिणए ? गोयमा ! सुब्भिगंधपरिणएवा, दुब्भिगंधपरिणएवा ॥ जइ रसपरिणए किं तित्तरसपरिणए पुच्छा ? गोयमा ! तित्तरस परिणए जाव महुररस परिणएवा ॥ जइ फासपरिणए कि कक्खड फासपरिणए जाव लुक्खफास परिणए ? गोयमा ! कक्खड फासपरिणएवा जाव लुक्खफास परिणएवा, ॥ जइ संठाणपरि णए पुच्छा ? गोयमा ! परिमंडल संठाण परिणए जाव आययसंठाण परिणएवा ॥ विशेष मीश्र परिणत का जानना ॥ २० ॥ यादि वीससा [ स्वभाव ] परिणत है तो क्या वर्ण, गंध, रस, स्पर्श व संठाण परिणत है? अहो गौतम! वर्ण परिणत यावत संठाण परिणत है. वर्ण में पांचों वणे परिणत, गंध में दोनों गंध, रस में पांचों रस, स्पर्श में आठों स्पर्श और संठाण में पांचों संठाण परिणत प्रकाशक राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी * भावार्थ |
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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