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________________ - पंचमाङ्ग विवाह पण्णत्ति (भगवती) सूत्र जइ कम्मा सरीर कायप्पओग परिणए किं एगिदिय कम्मा सरीर कायप्पओग प० जाव पंचिंदिय कम्मा सरीर जाव परिणए ? गोयमा ! एगिदिय कम्मा सरीर जाव परिणए एवं जहा ओगाहण संठाणे कम्मगस्स भेदो तहेव इहवि जाव पजत्ता सबट्ठसिद्ध अणुत्तरोंववाइय जाव देव पंचिंदिय कम्मा सरीर कायप्पओग परिणएवा, अपजत्ता सव्वट्ठसिद्ध अणुत्तरोववाइय जाव परिणएवा ॥ १९ ॥ जइ मीसापरिणए किं मणमीसा परिणए, वयमीसा परिणए, कायमीसा परिणए? गोयमा! मणमीसा परिणएवा,वयमीसा परिणएवा कायमसिा परिणएवा।। जइ मणमीसा परिणएवा किं सच्चमणमीसा परिणए मोसमणमीसा परिणएवा जहा पओगपरिणए तहा मीसापरिणएवि भाणियव्वं निरवसेसं जाव पज्जत्तासव्वसिद्ध अणुत्तरोववाइय जाव देव पंचिंदिय कम्मासरीरमीसा आहारक जानना. ॥ १८ ॥ यदि कार्माण शरीर काय प्रयोग परिणत है तो एकेन्द्रिय कार्माण शरीर काय प्रयोग परिणत है यावत् पंचेन्द्रिय कार्माण शरीर काय प्रयोग परिणत है. ऐभे ही अवगाहना, संस्थान वगैरह सबका जानना ॥ ११ ॥ अब मीश्र पुद्गल का कथन करते हैं. यदि मीश्र परिणत पुद्गल हैं। यो कथा मन वचा व काय मीश्र पारणा है ? अहो गौतम ! जैसे प्रयोग परिणत का कहा वैसे ही निर-01 48808. आठवां शतकका पहिला उद्देशा 9430 भावार्थ 4.98
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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