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________________ सत्र भावार्थ अनुवादक - बालब्रह्मचारीमुनि श्री अमोलक ऋषिजी दिय ओरालिय मीसा सरीर कायप्पओग परिणए, बेइंदिय जाव परिणए जाव पांचदिय ओरालिय जाब परिणए ? गोयमा ! एगिंदिय ओरालिय जाव परिणए, एवं जहा ओरालिय सरीर कायप्पओग परिणएणं आलावगो भणिओ, तहा ओरालिय मीसा सरीर कायप्पओग परिणएवि, आलावगो भाणियव्यो || नवरं बादर वाउकाइय गष्भवक्कतिय पंचिंदिय तिरिक्ख जोणिय गव्भवतिय मणुस्साणय एएसिं पज्जत्तापजत्तगाणं सेसाणं अपजतगाणं ॥ १५ ॥ जइ वेउव्विय सरीर कायप्पओग परिणए किं एगिंदिय उब्विय सरीर जाव परिणए पंचिंदिय वेउब्विय सरीर जाव परिणए ? ऐसे चार भेद जानना || १४ || यदि उदारिक मीश्र शरीर काय प्रयोग परिणत है तो क्या एकेन्द्रिय उदारिक यावत् पंचेन्द्रिय उदारिक मीश्र शरीर काय प्रयोग परिणत है ? अहो गौतम ! जैसे उदारिक शरीर का कहा वैसे ही उदारिक मीश्र शरीर काय प्रयोग का जानना. मात्र बादर वायु काय और गर्भज तिर्यच पंचेन्द्रिय व गर्भज मनुष्य के पर्याप्त अपर्याप्त दोनों में जानना और शेष सब अपर्याप्त में उदारिक मीश्र शरीर जानना ॥ १५ ॥ अहो भगवन् ! यदि वैक्रेय शरीर काय प्रयोग परिणत है तो क्या एकेन्द्रिय व पंचेन्द्रिय वैक्रेय शरीर परिणत हैं ? अहो गौतम ! एकेन्द्रिय व पंचेन्द्रिय परिणत है. यदि एके * प्रकाशक - राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी १०१८
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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