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________________ 280पंचमाङ्ग विवाह पण्णात (भगवती ) सत्र 40880 onrmananwww णएवा ॥ जइमणप्पओग परिणए किं सच्चमणप्पओग परिणए, मोसमणप्पओग परिणए सच्चामोसमणप्पओग परिणए,असच्चामोसमणप्पओग परिणए ?गोयमा ! सच्चमणप्पओग परिणएवा,मोसमणप्पओग परिणएवा,सच्चामोसमण पओग परिणएवा,॥ असच्चामोसमण पआग परिणएवा जइसच्चमणप्पओग परिणए किं आरंभ सच्चमणप्पओग परिणए,अणारंभ सच्चमणप्पओग परिणए,सारंभ सच्चमणप्पओग परिणए,असारंभ सच्चमणप्पओग परिणए, समारंभ सच्चमण पओग परिणए, असमारंभ सच्चमणप्पओग परिणए, ? गोयमा ! आरंभ सच्चमणप्पओग परिणएवा जाव असमारंभ सच्चमणप्पओग परिणएवा ॥ जइ परिणत, मीश्र परिणत व वीससा परिणत है. अहो भगवन् ! जो प्रयोग परिणत है वह क्या मन प्रयोग परिणत है, वचन प्रयोग परिणत है व काय प्रयोग परिणत है ? अहो गौतम ! मन, बचन व काय ऐसे तीनों प्रयोग परिणत हैं. अहो भगवन् ! यदि एक पुद्गल द्रव्य मन प्रयोग परिणत है तो क्या वह सत्य मन, असत्य मन, सत्यासत्य मन व व्यवहार मन प्रयोग परिणत है ? अहो गौतम ! सत्य, असत्य, सत्यासत्य व व्यवहार मन प्रयोग परिणत है. यदि सत्य मन प्रयोग परिणत है तो क्या वह आरंभ सत्य मन प्रयोग परिणत, अनारंभ सत्य मन प्रयोग परिणत, सारंभ सत्य मन प्रयोग परिगत असारंभ सस मन 82420 आठवा शतक का पाहला उद्दशा भावार्थ ।
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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