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सूत्र
भावार्थ
कइविहा पण्णत्ता ? गोयमा पंचविहा पण्णत्ता, तंजहा- एगिंदिय मीसा परिणया जाव पंचिदिय मीसा परिणया, एगिंदिय मीसा परिणयाणं भंते! पोग्गला कइविहा पण्णत्ता ? एवं जहा पओग परिणएहिं नव दंडगा भणिया, एवं मीसा परिणएर्हिवि नव दंडगा भाणियव्वा, तहेव सव्वं, निरवसेसं, नवरं अभिलावो मीसा परिणया भाणियव्वो, सेसं तं चैव जाव जे पज्जत्ता सव्व सिद्ध अणुत्तरोववाइय जाव आयत संठाण परिणया ॥ १२ ॥ वीससा परिणयाणं भंते ! पोग्गला कइविहा पण्णत्ता ? गोमा ! पंचविहा पण्णत्ता, तेजहा वण्ण परिणया, गंधपरिणया, रसपरिणया, फास परिणया, संठाण परिणया, जे वण्ण परिणया ते पंचविहा प० तं कालवण्ण परि अहो गौतम ! मीश्र परिणत पुद्गल के पांच भेद कहे हैं. एकेन्द्रिय मीश्र परिणत पुद्गल यावत् पंचेन्द्रिय { मीश्र परिणत पुद्गल जैसे प्रयोग परिणत के नव दंडक कहे वैसे ही मीश्र परिणत के नत्र दंडक जानना. इस में प्रयोग परिणत के स्थान मीश्र परिणत कहता ॥ १२ ॥ अहो भगवन् ! स्वभाव परिणत पुद्गल के ॐ कितने भेद हैं ? अहो गौतम ! स्वभाव परिणत पुद्गल के पांच भेद कहे हैं. वर्ण परिणत, गंध परिणत | रस परिणत, स्पर्श परिणत, व संस्थान परिणत. इन में वर्ण परिणत के पांच भेद श्याम वर्ण परिणत
२०००- पंचमांग विवाह पष्णत्ति ( भगवती ) सूत्र 4000
4. आठवा शतकका पहिला उद्देशा
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