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उवरिमउवरिम गेवेजग कप्पातीयदेव पंचिंदिय पओग परिणयावि ॥ एवं चेव पजत्ता पजत्तग विजय अणुत्तरोववाइय कप्पातीय वेमाणियदेव पंचिंदिय पओग परिणया जाव पजत्ता पजत्तग सव्वट्ठ सिद्धाणुत्तरोववाइय कप्पातीय वैमाणियदेव पंचिंदिय पओग परिणयाय ॥ ४ ॥ जे अपज्जत्तग सुहुम पुढवि काइय एगिदियपओग परिगया ते ओरालियतेयाकम्मा सरीरप्पओग परिणया, जे पजत्त सुहुम पुढविकाइय एगिंदियप्पओग परिणया. ते ओरालिय तेया कम्मा सरीरप्पओग परिणया, एवं जाव पजत्तग चउरिदियप्पओग परिणया ॥ णवरं जे पजत्तग बादर वाउ काइय एगिदियप्पओग परिणया, ते ओरालिय वेउव्विय तेया कम्मा सरीरप्पओग परिणया
सेसं तचेव । जे अपज्जत्तग रयणप्पभा पुढवि नेरइय पंचिंदिय पयोग परिणया ते भावार्थ वैमानिक व अवेयक व अनुत्तरोपपातिक कल्पातीत वैमानिक देव में सर्वार्थसिद्ध पर्यंत सब के पर्याप्त व
अपर्याप्त ऐसे दो २ भेद जानना ॥ ४ ॥ अब तीसरा दंडक शरीर आश्रित कहते हैं. जो अपर्याप्त सूक्ष्म ।
पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय प्रयोग परिणत हैं. वे उदारिक, तेजस व कार्माण शरीर प्रयोग परिणत हैं. और 17पर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वीकायिक एकेन्द्रिय प्रयोग परिणत भी उदारिक, तेजस व कार्माण शरीर प्रयोग परिणत हैं. 1.
- पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भगवती ) सूत्र
आठया शतकका पहिला उद्देशा-48:07