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02 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी .
पओग परिणयाणं पुच्छा ? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-पजत्तग असुर कुमार देव पंचिंदिय पओग परिणया, अपजत्तग असुर कुमारदेव पंचिंदिय पयोग परिणयाय एवं जाव पजत्तग थणिय कुमारदेव पंचिंदिय पयोग परिणया, अपज्जत्तण थणिय कुमारदेव पंचिंदिय पआग परिणयाय, ॥ एवं एएणं अभिलावेणं दुपएणं, भेएणं पिसायाय जाव गंधव्वदेव पंचिंदिय पओग परिणयाय॥ एवं पनत्तापजत्तग चंदविमान जोइसियदेव पंचिंदिय पओग. परिणया जाव पजत्ता पज्जत्तग ताराविमानदेव पंचिंदिय पयोग परिणयाय ॥ पज्जत्तग सोहम्म कप्पोववण्णगदेव पंचिंदिय पओग परिणया, अपज्जत्तग सोहम्म कप्पोववण्णगदेव पंचिंदिय पओग परिणया ॥ एवं जाव पज्जत्ता पज्जत्तग अच्चुअकप्पोवरणगदेव पंचिंदिय पओग परिणयावि ॥ पज्जत्तगा पजत्तग
हेट्ठिमहेट्ठिमगेवेजग कप्पातीयदेव पंचिंदिय पओग परिणया जाव. पज्जत्ता पजत्तग समूच्छिम भुजपरिसर्प, गर्भज भुन परिर्प, संपूच्छिा खेचर द गर्भज खंजर तिर्यंच पंचेन्द्रिय इन सबके एक एक के पर्याप्त व अपर्याप्त ऐसे दो २ भेद जानना. संपूच्छिप मनुष्य व गर्भज मनुष्य के पर्याप्त व अप
ऐसे दो भेद जानना. दश भुवनपति, आउ वाणव्यंतर, पांच ज्योतिषी, बारह प्रकार के कल्पोत्पन्न ।
* प्रकाशक राजाबहादुर मला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी *
भावार्थ