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________________ * 488 पंचमांग विवाह पण्णत्ति ( भवगती ) सूत्र जोणिय पंचिंदिय पओग परिणयाय एवं गब्भवतिय जलयर तिरिक्ख जोणिय पंचिंदिय पओग परिणयावि । संमुच्छिम चउप्पय थलयर तिरिक्ख जोणिय पंचिंदिय पओग परिणयावि, एवं चेव ॥ एवं गन्भवतिय चउप्पय थलयर तिरिक्ख जोणिय पंचिंदिय पओग परिणयावि। एवं जाव सम्मुच्छिम खहयर तिरिक्ख जोणिय पंचिंदिय पओग परिणयावि गब्भवतिय खहयर तिरिक्ख जोणिय पंचिंदिय पओग परिणयावि एवं॥ एकके पजत्तगाय, अपज्जत्तगाय भाणियव्वा॥ सम्मुच्छिम मणुस्स पंचिंदिय पओग परिणयाणं पुच्छा ? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-पजत्तग सम्मुच्छिम मणुस्स पचिंदिय पओग परिणया अप्पज्जत्तग सम्मुच्छिम पंचिंदिय पओग परिणयोय • गन्भवतिय मणुस्स पंचिंदिय पओग परिणयाणं पुच्छा ? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता तंजहा पजत्तग गम्भवक्कंतिय मणुस्स पंचिंदिय पओग परिणया अपजत्सग गम्भव___ कंतिय मणुस्स पचिंदिय पओग परिणयाय ॥ असुर कुमार भवणवासीदेव पंचिंदिय ऐसे ही संमच्छिम जलचर तिर्यंच पंचेन्द्रिय, गर्भजजलचर तिर्यंच पंचेन्द्रिय, संमूञ्छिम चतुष्पद स्थलचर, तिर्यंच पंचेन्द्रिय, गर्भज चतुष्पद स्थलचर तिर्यंच पंचेन्द्रिय, संमूछिम उर परिसर्प, गर्भज उर परिसर्प, आठवा शतक का पहिला उद्देशा भावार्थ 988-800
SR No.600259
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages3132
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size50 MB
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