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कप्पातीय वेमाणिय देव पंचिंदिय पओग परिणया ।अणुत्तरोक्वाइय कप्पातीय वेमाणि य देव पंचिंदिय पयोग परिणयाणं भंते पोग्गला कइविहा पण्णत्ता ?गोयमा ! पंचविहा प० तं. विजय अणुत्तरोववाइय कप्पातीय वेमाणिय देव पंचिंदिय पओग परिणया जाव सव्वट्ठ सिद्ध अणुत्तरोषवाइय कप्पातीय वेमाणिय देव पंचिंदिय पओग परिणयाय ॥ ३ ॥ सुहुम पुढवि काइय एगिदिय पओग परिणयाणं भंते ! पोग्गला कइ विहा पण्णत्ता ? दुबिहा पण्णत्ता तंजहा ( केइ अपज्जत्तगं पढमं भणंति, पच्छा पज्जत्तगं) पजत्त सुहम पुढवि काइय एगिदिय पओग परिणया अपजत्त सुहुम पुढवि काइय एगिदिय पओग परिणया । बादर पुढवि काइय एगिदिय पओग परिणयाकि
एवं चेव, एवं जाव वणस्सइ काइय एगिदिय पओग परिणया ॥ एकेका दुविहा पंचेन्द्रिय प्रयोग परिणत यावत् उवरिम ग्रैवेयक कल्पातीत वैमानिक देव पंचेन्द्रिय प्रयोग परिणत. अनुत्त
रोपपातिक कल्पातीत वैमानिक देव पंचेन्द्रिय प्रयोग परिणत के पांच भेद विजय, वैजयंत जयंत, अपराजित ॐव सर्वार्थसिद्ध कल्पातीत वैमानिक देव पंचेन्द्रिय प्रयोग परिणत ॥ ३ ॥ अहो भगवन् ! सूक्ष्म पृथ्वी का 1यिक एकेन्द्रिय प्रयोग परिणत पुद्गलों के कितने भेद कहे हैं ? अहो गौतम ! उस के दो भेद पर्याप्त व
पंचमाङ्ग विवाह पण्णत्ति (भगवती ) सूत्र
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आठना शतकका पहिला उद्देशा*480
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