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• अनुवादक बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋपिजी ga
तंजहा-कप्पोववण्णग वेमाणिय देव पंचिंदिय पयोग परिणया, कप्पातीय वैमाणिय देव पंचिं__ दियपयोग परिणया । कप्पोववण्णगवेमाणिय देव पंचिंदिय पओग परिणया दुवालसविहा
पण्णत्ता,तंजहा-सोहम्म कप्पोववण्णगवेमाणिय देव पंचिंदिय पओगपरिणया एवंजावअच्चु यकप्पो ववण्णग वैमाणिय देव पंचिंदिय पओगपरिणया॥कप्पातीय वेमाणिय देव पंचिंदिय पओग परिणया दुविहा प० तं. गेवेजग कप्पातीय वेमाणिय देव पंचिंदिय पओगपरिणया, अणुत्तरोववाइय कप्पातीय वैमाणिय देव पंचिीदय पयोग परिणया । गेवेज्जग कप्पातीय वेमाणिय देव पंचिंदिय पयोग परिणया णवविहा पण्णत्ता तंजहा- हेट्ठिम
गेवेजग कप्पातीय वैमाणिय देव पंचिंदिय पओग परिणया जाव उवरिम गेवेजग ५ किन्नर ६ किं पुरुष ७ महोरगव ८ गांधर्व, ज्योतिषी के पांच भेद चंद्र, सूर्य, ग्रह, नक्षत्र व तारे. वैमानिक देव पंचेन्द्रिय प्रयोग परिणत के दो भेद १ कल्पोत्पन्न व २ कल्पातीत. कल्पोत्पन्न वैमानिक देव पंचेन्द्रिय प्रयोग परिणत के बारह भेद कहे हैं. १ सौधर्म, २ ईशान ३ सनत्कुमार ४ माहेन्द्र ५ ब्रह्मलोक ६ लंतक १७ महाशुक्र ८ सहस्रार ९ आणत १० प्राणत ११ आरण व १२ अच्युत. कल्पातीत के दो भेद अवेयक व अनुत्तरोपपातिक विमान ! इनमें से अवेयक के नव भेद हेडिम अवेयक कल्पातीत वैमानिक देव ..
*प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालामसादजी *
भावार्थ