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सूत्र
भावार्थ
4 पंचमाङ्ग विवाद पण्णत्ते ( भगवती ) सूत्र
4848 आठवा शतक का पहिला उद्देशा
परिणया गब्भवतिय मणुस्स पंचिंदिय पओग परिणया ॥ देव पंचिदिय पओग परिणयाणं पुच्छा ? गोयमा ! चउन्विहा पण्णत्ता, तंजहाभवणवासीदेव पंचिदिय पओग परिणया एवं जाव वेमाणिय देव पंचिंदिय पओगपरिणा ॥ भवणवासी देवपंचिंदिय पओग परिणयाणं पुच्छा ? गोयमा ! दसविहा पण्णत्ता, तंजहा - असुरकुमार देव पंचिंदिय पओग परिणया, जाव थणियकुमार देव पंचिदिय पओगपरिणया | एवं एएणं अभिलावेणं अट्ठविहा वाणमंतरदेव पंचिंदिय पओगपरिणया, पिसाय देव पंचिदिय पओगपरिणया जाब गंधव्वदेव पंचिंदिय पओग परिणयाय ॥ जोइसियदेव पंचिदिय पओगपरिणया पंचविहा प० तंजहा - चंदविमाण जोइसिय देव पंचिदिय पयोग परिणया जाव ताराविमाण जोइसिय देव पंचिदिय पयोग परिणया ॥ वेमाणिय देव पंचिंदिय पयोग परिणया दुविहा पण्णत्ता, परिणत. देवपंचेन्द्रिय प्रयोग परिणत के चार भेद भवनवासी, वाणव्यंतर, ज्योतिषी व वैमानिक देव पंचेहेन्द्रिय प्रयोग परिणत भवनवासी देव दश प्रकार के १ असुरकुमार, २ नाग कुमार ३ सुवर्ण कुमार ४ विद्युत्कुमार ५ अग्नि कुमार ६ द्वीपकमार ७ उदधिकुमार ८ दिशा कुमार ९ पवन कुमार व १० स्थनित १०७ { कुमार देव पंचेन्द्रिय प्रयोग परिणत ऐसे ही वाणव्यंतर के आठ भेद १ पिशाच २ भूत ३ यक्ष ४ राक्षम
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