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4 अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि :
जोणिय पंचिदिय पओग परिणया,गब्भवतिय चउप्पय थलयर तिरिक्ख जोणिय पंचिंदिय पओग परिणयाय, एवं एएणं अभिलावेणं परिसप्प थलयर तिरिक्ख जोणिय पंचिंदिय पओग परिणया दुविहा पण्णत्ता, तंजहा--उरपरिसप्प थलयर तिरिक्ख जोणिय पंचिंदिय पओग परिणयाय, भुयपरिसप्प थलयर तिरिक्ख जोणिय पंचिंदिय पओग परिणयाय ॥ उरपरिसप्प थलयर तिरिक्ख जोणिय पंचिंदिय पओग परिणया दविहा ५० तं० सम्मुच्छिम उरपरिसप्प थलयर तिरिक्ख जोणिय पंचिंदिय पओग परिणया, गन्भवक्कंतिय उरपरिसप्प थलयर तिरिक्ख जोणिय पंचिंदिय पओग परिणयाय ॥ एवं भयपरिसप्पथलयर तिरिक्ख जोणिय पंचिंदिय पओग परिणयावि ॥ एवं खहयर तिरिक्ख जोणिय पंचिंदिय प्रओग परिणयावि ॥ मणुस्स पंचिंदिय पओग परिणयाणं
पुच्छा ? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता तंजहा सम्मुच्छिम मणुस्स पंचिंदिय पओग चतुष्पद स्थलचर तिर्यंच पंचेन्द्रिय प्रयोग परिणत. परिस नियंच पंचेन्द्रिय प्रयोग परिणत के दो भेद. उरपरिसर्प अजगरादि व सुजारि नकुलादि. उर परेसर्प व भुन परिसर्प स्थलचर तिर्यंच पंचेन्द्रिय प्रयोग परिणत के संमछिन व नर्भज ऐसे दो २ भेद होते हैं. ऐसे ही खेचर का जानना. मनुष्य पंचेन्द्रिय प्रयोग परिणत के दो भेद समूच्छिम मनुष्य पंचेन्द्रिय प्रयोग परिणत व गर्भज मनुष्य पंचेद्रिय प्रयोग
* प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेवमहायजी मालाप्रसादनी,
भावार्थ