________________
शब्दार्थ स्थिति क्षयसे जा. यावन् म. महाविदेह क्षेत्र में सि• सिझेगा जा० यावत् अं० अंत करेगा ॥ १७ ॥ व०
70 वरुण का भं०भगवन् पि. प्रियबाल मित्र का काल के अवसर में का०काल करके क-कहां ग० गया क.
कहां उ० उत्पन्न हुवा गो० गौतम सु• मुकुलमें १० उत्पन्न हुवा त तहां से अ० पीछे उ० चक्कर क० कहां ग. जावेगा गो० गोलम म. महाविदेह क्षेत्र में सि. सिझगा जा. यावत् अंतकरेगा व. वह
९७१
विराह पण्णति ( भगवती) सूत्र <ages
जाव महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव अंतकरेहिति ॥ १७ ॥ वरुणस्सणं भंते ! नागनत्तयस्स पियवाल वयंसए कालमासे कालं किच्चा कहिंगए कहिउववण्णे ? गोयमा ! सुकुले पञ्चाजाए ॥ सेणं भंते ! तओहिंतो अणंतरं उव्वटित्ता कहिं गच्छिहिति ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव अंतकरहिति ॥ सेवं भंते
38889- सातवा शतकका नववा उद्देशा
भावार्थ
चार पल्योपम की स्थिति से उत्पन्न हुवा.और वहां से आयुष्यक्षय भवक्षय वस्थिति क्षय से काल करके महा विदेह क्षेत्र में मनुष्य में उत्पन्न होकर सिझेगे बुझेगे यावत् सब दुःखों का अंत करेंगें ॥ १७ ॥ वरुण नाग नप्तृक का प्रिय बाल मित्र वहां से काल करके कहां गया कहां उत्पन्न हुवा ? अहो गौतम! वरुण नाग सप्तृक का बाल मित्र वहां से काल करके उत्तम कुल में उत्पन्न हुवा. अहो भगवन् ! फीर वहां से चवकर कहां जावेगा? अहो गौतम: महाविदेह क्षेत्र में उत्पन्न होकर सीझेंगा बुझेगा यावत् सब दुःख