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________________ अर्थ 48 अनुवादक - बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी तस्स असासेति २ ता जामेव दिसं पाउब्भूए तामेव दिसं पडिगए ॥ ३८ ॥ ततेणं देवतिदेवी अणया कयाई तंसितारिसयंसि जाव सीहसुमिणं पासित्ताणं पडिबुद्धा, जाब हट्ट तुट्ठ जाव हियया, तंगन्भं सुहंसुहेणं परिवहति ॥ २९ ॥ ततेणं से देवतीदेवी नवमाणं जाव सुमणकुसुमरत्त, बंधुजीवतलखारस सरिसे, परिजात तरुण दिवाकरसमप्पभि, मव्वनयणकतं सुकुमालं जाव सुरूवं गयतालुयसमाणं दारयपयया ॥ ४० ॥ जमणं जहा मेहकुमारे, जाब जम्हणं अम्हंइमेदार ते गयतालूयसमा { ऐसाकर देवकी देवी को इष्टकारी प्रियकारी वचनकर संतोषी, संतोषकर जिस दिशा से आये थे उसदिशा पीछे गये || ३८ ॥ तब वह देवकी को अन्यदा किसी वक्त पुन्यवन्त के शयन करने योग्य शैया में मूते हुवे सिंहका स्वप्न देखा, देखकर जागृत हुई यावत् हर्ष संतोष पाई हृदय विक्लायमान हुआ, उस गर्भ को सुखे २ पालती हुई विचरने लगी ॥ ३९ ॥ तथ वह देवकी देवी - नवमहीने यावत् प्रतिपूर्ण हुवे सुमन के फूल समान रक्त, बंधुजीव ( वर्षाद में उत्पन्न होता है ) वैसा रक्त, लाख के रस जैसा रक्त, परवे (कबूतर ) की आंखों जैसा रक्त, उदयपाते सूर्य जैसा प्रभावाला, सर्वकी आंखों को प्रियकारी, सुकुमार कौमलाङ्गी यावत् {सुरूप हास्ति के तालु जैसा बालक को जन्मादिया ॥ ४० ॥ जन्मोत्सव वगैर जैसा ज्ञाता सूत्र में मेघकुमार का कहा तैसा कहना यावत् हमारा यह बालक गज के तालुभे जैसा रक्त और सुकुमाल है इसलिये हमारे इस Jain Education International For Personal & Private Use Only * प्रकाशक - राजा बहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वाला प्रसादजी * ३२ www.jainelibrary.org
SR No.600258
Book TitleAgam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages150
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_antkrutdasha
File Size15 MB
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