________________
438
२
।
* अवांग-अंतगड दशांग-मूत्र +4
॥ तृतीय-वर्ग। जति तच्चस्स उखवओ ॥ एवं खलु जंबू ! अट्टमस्स अंगरस्स तच्चस्स वग्गस्स तेरे अज्झयणा पण्णता तेजहा- अणीयसेण, अगंतसेणय; अजियसेण, अणिहयरिउ ॥
देवसेण, सतुलेण, सारणे, गए, सुमहे, दुमुहे ॥ कुवए, दारुए, अणाहिढे ॥१॥ } जइणं भंते ! समणेणं जाव सपत्तेणं अट्ठमस्स अंगस्स अंतगउदसाणं तच्चस्स वग्ग
स्स तेररस अज्झयणा पण्णत्ता, पढमस्सणं भंते ! अज्झयणस्स अंतगडदसाणं के है, अ8 पण्णत्ते ? ॥ २ ॥ एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं भदिलपुरे णामं
यदि तीसरा वर्ग का उक्षेप । यो निश्चय हे जम्बू ! आठवे अंग अंतकृत दशा के तीसरे वर्ग के तेरे अध्यायन कहे है, उनके नाम-१ अणियसेन कुमार का.२ अनन्तसेण कुमार का,३ अजितसेण कुमार का,४१
अनिहतरिपु,कुमार५देवसेन,कुमारशत्रुसेण, कुमार७ मारण कुमार ८गजमुकमाल, ९मुमुख,का१०दुमुख, काई है। *११कुवेर,१२दारुक, और १३अनादिठीसेन कुमार का॥२॥ यदि अहो भगवान! श्रमण भगवंत यावत् मुक्ति
पधारे उनोने अंत कृत दशांग के तीसरे वर्ग के तेरे अध्यायन कहे तो अहो भगवान उस में से प्रथम अध्यापन का क्या अर्थ कहा है? ॥२॥ यों निश्चय हे जम्बू: उस काल उस समय में भहिल परनामई
-
तृतीय वर्गका प्रथम अध्ययन
-
wwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwww
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org