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________________ तत्थणं बारवतिए णयरीए अंधगवहिणामं राया परिवसई, महत्ताहिमवंत ॥" , तरवणं अंधगवहिरंगरण्णो धारिणीणामं देवीह त्था वण्णओ ॥ १२ ॥ तएणं सा धारिणीदेवी अण्णयाकयाइं तंसि तारिसयति सथाणिज्जसि एवं जहा महबलोए सुमिणं दसण, जम्म, बालत्तणं, कलाओय, जोव्वणं, पाणीगहणं, कणा, पामादभोगय, णवरं गोतम कुमारे णामे, अट्टण्हरायावर कणगाणं एगदिवसेणं पाणीमिण्हावेति, अट्ठउ दाओ ॥ १३ ॥ तेणं कालेगं तेणं समएणं अरहा अरिट्ठनेमी आदिकर जाघ विहरत्ति मर्थका आधिपलिपना करते हुवे यावत् विचरते थे ॥ १० ॥ तहां द्वारका नगरी में अन्धकविष्णु नाम के राम रहत ३ रे महा हिमवन्त पर्वत समान वर्णन योग्य थे ॥ ११ ॥ उन अन्धकविष्णु ग़जा के धारणी नाम की राणा थी वद भी वर्णन करने योग्य थी !॥ १२ ॥ वह धारणी राणी अन्यदा किसी वक्त पुण्यवन्त के शयन करने योग्य शैय्या में भूनी हइ सिंह का स्वप्न देखा. यों आगे का सब कथन भगवती सूत्र में महा बल कुमार का कहा नाही सरका , स्वप्न का, स्वपाठक को पूछने का, जन्म का, जन्मोत्सर का, बाल्यावस्था का, कलाशिक्षण का, यौवन अवस्था प्राप्त होका, पानी ग्रहण का, कन्या की संख्या का, भोग भोगवने का सर कथन महावल कार जैसे कहदेनार में इतना विशेष—इन का 1- गौतम कुमार नाम दिया, आठ कन्या प्रधान राजाओं की माथ एक दिन पानी ग्रहण कराया, आठ २ १ अनुवादक-बालब्रह्मचारी पुगि श्री अयोलक ऋपिजी + * प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वाला प्रसादजी ! Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600258
Book TitleAgam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages150
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_antkrutdasha
File Size15 MB
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