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कुमारे अम्मापियरी एवं पयासी जागालिणं अहं अम्मलाते जहा जातणा अवस्स | मरियन्वं, न जाणामि अहं अम्मायातो कहवा कहिंवा कहवा केवचिरेणंवा । न जाणामिणं अम्मलातो कहिणं कम्मं बंधणेहिं जीवा मेरइयतिरिक्खजोणिय मणुस्स देवेषु उवबजइ । जाणामिणं अम्मतातो जहा सत्तेहि कम्मं बंधणेहिं जीवा नरइया जाव उववजहिति॥एवं खलु अहं अम्मसातो जंचत्र जाणामि तं व न आणामि,जं क्षेत्र न जाणामि तं चेव जाणामि, तं इच्छामिणं अम्मयातोसुब्भेहिं अभणुणाते जाव
पम्बहत्तए ॥ २३ ॥ सत्तेणं अतिमुसेकुमार अम्मापियरो जाव नो संचाएपि बहुर्हि अर्थ माता पिता से ऐमा बोलाहो मातपितो ! मैं जानता है कि जो जन्मा यो अवश्यही परेगा.
परंतु मैं ऐसा नहीं जानता हूं कि किस स्थान किस प्रकार किस प्रयोग कर महंगा. भौर भी हो मातापिताओं ! ऐसा नही जानता हूँ कि किम कर्म करके जीव नरक तिर्यंचादिगति में उत्पन्न होते हैं. किन्तु
सा जानता है कि जो जीच कशिस्त हैं वे नरकादिगीतमें अवश्य पस्पन होते हैं, महो पातपिनाओं में इस
बहार जिसे जानता उसे नहीं मानता हूं और जिसे नहीं जानता हूं उस जानता हूँ. इसलिये हो पाता है। ITी पहाता कि, जो भापकी भाशा हो तो दीक्षा ले५ ॥ २७ ॥र बातिमुक्त कुमार है।
ऋषिनी दक कालमारी मुनि श्री भयोलक
प्रकाशक-रात्रावहादुर खाला मुखदेवमामी मालाणसादनी
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