SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 110
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भगवं गोयमेण साई जेणव समणे भगवं महावीरे तेणैव उवागच्छति । समणं.. भगवं महावीरए तिक्खतो आयाहीणं पयाहीणं वदति जाव पज्जुवा संति ॥ १ ॥ तत्तेणं भगवं गोयमे जव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागते जाव पडिसेलिर, संयमेणं तवसा अप्पाणं मात्रमाणा विहरति ॥ १५ ॥ तत्तेणं समणे भगवं महावीरं अतिमुत्ते कुमारस्स तीसेय धम्मकहा ॥ १६ ॥ तएणं. से अतिमुत्ते कुमारे समणस्स भगवओ अंतिए धम्मं सोचा निसम्म? जं. नवरं देवाणुप्पिया! अम्मा " पियरो अपुच्छति तत्तेणं अहं देवाणुप्पियाणं अंतिए जाव पव्वयामि ॥ १.७॥ IE सुख होवेसो करो॥१३॥तब अतिमुक्त कुमार भगवंत गौतम स्वामी के साथ जहां श्रमण भगवंत महावीरस्वामी थे तहां आया, श्रमण भगवंत महावीर स्वामी को तीन वक्त हाथ जोडपदक्षिण वर्त फिराकर वंदना नमस्कार कीयावत् सेवा भक्ति करने लगा।॥१४॥तब भगवंत गौतम जहां श्रमण भगवंत महावीर स्वामीथ तहाँ आये आहार आदि लाये थे वह बताया यावत् तप संयम से स्वात्मा भावते हुवे विचरने लगे ॥ १५ ॥ नस पक उस अतिमुक्ति कुमार को भगवंत, महावीर सामी ने धमेपिदेश मुनाया ॥ १६ ॥ तब अतिमुक्त कुमार श्रमण भगवंत महावीर स्वामी के मुखाविन्द से धर्मोपदेश श्रवण कर हर्ष तुष्ट हुवा और कहने लगा अहो देवांनुपिय ! इतना विशेष है कि मैं मेरे माता पिता से पूछकर देवानुपिया के पास पावन अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी .शानाजाबहादुर लाला मुखदेव सायजी ज्वालामसाद । । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600258
Book TitleAgam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages150
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_antkrutdasha
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy