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________________ वादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिडी छट्टरस चउत्य अज्झयणं मम्मत्तं ॥ ६ ॥ ४ ॥ एवं खेमेवि गाहावइ, णवरे काकंदीए, सोलस्सवासाए परियाओ, विउले पव्वए सिद्धे ॥ छटुस्स वग्गस्स पंचम अझयणं सम्मतं ।। ६॥ ५ ॥ एवं धित्तिधार गाहावई काकंदीए णयरे, सोलस्स वासाइं परियाओ, जाव विउले सिद्धे ॥ छठुस्स वग्गस्स छटुं अज्झयणं सम्मत्तं ॥ ६ ॥ ६ ॥ एवं केलासेवि गाहावइ, नवरं साएय नगरे, बारस्स वासाई परियाओ विउले सिद्धे ॥ सत्तमं अज्झयण समत ॥ ६ ॥ ७ ॥ एवं हरिचंदणे ते गाहावई साएतो वारस्सवासाइं परियाए । अट्रमं अज्झयणं सम्मत्तं जावसिद्धे ॥६॥ ८ ॥ एवं वीरस्स गाहवई, णवरं रायगिहे गरे, बारम्सा वासा परियाओ विउलंसिद्धे ॥ नवयं अज्झपणं सम्मत्तं ॥ ६ ॥ ९ ॥ एवं सुदंसणेवि गाहावइ, णवरं वाणियगाम पालकर विपुलगिरीपर सिद्ध हुवा | छठा वर्ग का चौथा अध्ययन समाप्तम् ॥६॥४॥ ऐसे ही क्षेप गाथापति.. का अधिकार, जिस में इतना विशेष-कंकदी नगरी में हुवा मोलवर्ष संयम पाला सिद्ध हुन । ॥५॥ ऐसे ही घृतिधर गाथापति, कंकादी नगरी सोलेवर्ष संयम पाला, सिद्ध हु ॥६॥७॥ एमेही कैलास माथापीत विशेष साकेत पुर नगरमें हुवा बोरवर्ष संयय पाला, सिद्ध हुवे ॥६॥८॥ ऐसेही हरिश्चद्र गाथापति सकेत पुर नगर, वारे वर्ष संयम पाला सिद्ध हुवे ॥६॥२॥ ऐसेही सुदर्शन गाथापति विशेष में-वाणिज्यग्राम नगर द्युतिषलास • प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालामसादजी* Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600258
Book TitleAgam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages150
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_antkrutdasha
File Size15 MB
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