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________________ 488 मूषक * महानिजरकाराएचैवा४५ से केण?णं भंते! एवं वुच्चइ इमासिं चंउद्दसहि समण साहसिणं 2. धन्ना अणगारे महादुकार कारएचेद महानिज्जरा कारएचवे?॥४६॥ एवं खलु सेणिया! तेणंकालेणं तेणंसमएणं काकंदी नाम लयरी होत्था, जाव उप्पिए पास्टए वार्डसए विहरातत्तेणं अहं अण्णयाकयाइ पुवापुपविंचरेमाणे गामाणुगामं दुइजमाणे जेणेत्र काकंदी नयरीए जेणेव सहस्सबवणेउजाणे तेणेव उवागच्छइ २त्ता अहापडिरूवंउग्गहं उगाहीत्ता संजमेणं तवसा जाब विहरमि ॥ परिसाणिग्गया, तंचेव जाव पवइए जाव nirmwomanmmmmmmmmmmmmna 422 नवमांग वणुत्तरोक्वाई दशांग मूत्र तृतीय-वर्गका.प्रथम अध्ययन चउदह हजार साधुओंमें धन्ना अनगार महादुक्कर करनीका करनेवाला है महानिर्जराका करनेवाला १.अहो भगवन् ! इन चौदह हजार साधुओं में घना अनगार दुक्कर करनी करता हैं. महानिर्जरा करता है किसलिये कहा ॥४॥यों निश्चय हे श्रणिक उसकाल उससमय में काकंदी नामकी नगरीथी, वहां भद्रासार्थ जवानी का पुत्र धमा बत्तीस स्त्रीयों के साथ प्रमाद के ऊपर सुख भोगवता विचरता था. तब मैं अन्यदा किसी वक्त पूर्वानुपूर्व चलता हुवा ग्रामानुग्राम उल्लंघता हुवा जहां काकंदी नगर का सहश्रम्ब उद्यान था,ors .1 तहां गया; जाकर यथा प्रतिरूप अवग्रह ग्रहण कर संयम तप कर आत्मा को शवता हुवा विचरने लगा. परिषदा आइ, धन्ना आया यावत् दीक्षा धारन की यावत् जैसे विल में सर्प प्रवेश करता है तैसे ही आहार के Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600257
Book TitleAgam 09 Ang 09 Anuttaropapatik Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages52
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_anuttaropapatikdasha
File Size8 MB
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