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434 नवमांग-अणुत्तरोववाई दशांग सूत्र
दोहपंधवासाई,स.माणपरियाण।।आइलाणपंचण्हं अणुपुबीए उववाओ,विजय विजयते जयंते अपराजिए सन्वटेसिद्धे दीहदंते सम्वट्ठसिद्धे उक्कोसे सेसा अभओ विजय ॥३॥सेसं जहा पढमे ॥ ४ ॥ अभयस णाणत्तं-रायगिहे णयरे, सेणिएराया, गंदादेवी माया ॥
सेसं तहेव ॥ ५ ॥ एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं अणुत्तरोक्वाइय दसाणं ___ पढम्मस्स वग्गस्स अयमढे पण्णत्ते ॥ इति पढमो वग्गो सम्मन्तो ॥१॥ x नन्दा राणी के पुत्र ॥ १ ॥ पहिले पांच अनगारोंने सोलह २ वर्ष संयम पाला, तीनोंने बारे २ वर्ष संयम में पाला और दोनोंने पांच २ वर्ष संयम पाला ॥२॥ पहिले पांचजने अनुक्रम से जाली कुमार विजय विमान में, मयाली कुमार विजयंत विमान में, उन्माली कुमार जयंत विमान में, पुरिससेन कुमार अपराजित विमान में, वारीमेन कुमार सर्वार्थ सिद्ध विमान में, दीर्घदन्त सर्वार्थ सिद्ध विमान में, लइदंत अपराजित
विमान में, विहल्ल जयंत विमान में, विहांत विजयंत विमान में और अभयकुमार विजय विमान में, उत्पन्न बहुवे ॥३॥ शेष कथन मथम ध्ययन के जैसा जानना ॥४॥ अन्तिम के अभयकुमार राजगृही नगरी, श्रेणिक
राजा पिता, नन्दादेवी राणी माता, शेष प्रथय अध्ययन तैसेही॥५॥यों निश्चय,हे जम्बू! अपण यावत् मुक्ति पधारे उनोंने अनुचरोपपातिक दशा के मथम वर्गका इस प्रकार का अर्थ कहा ॥इति प्रथम वर्ग समाप्त ॥१॥
प्र थम-वर्गका देशम अध्ययन
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