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________________ सूत्र 428+ सप्तमांग उपाशक दशा सूत्र 43 जिन्भा जहा सुष्पकत्तरंचैत्र, विगय विभत्थ देसणिजा, हलकुद्दाल संठित्ता सेहणया, गल्लकडिल्लंच तस्स खडुंफुटुं कविलं फरसं महलं मुइंगाकारोवमेसे खंधे, पुरवरकवाडोरमे सेवत्थे, कोटिया संठाण संठिया दोवितस्स वाहा, निसापाहाण संठाण संढिया दोवित्तरत अग्गहस्था, निसालोढ संठाण संठियाओ हत्थेसु अंगुलीओ, सिप्पिपुडग संठाण संठिया सेणक्खा, पहविय पसेवओळ उरसि लंवंति दोत्रितस्स थणया, पोहे अयको ओव्ववई, पाणकलंद सरिसा सेणाही; सिक्का संठाण संठिते सेनेते, संडव नगर के लम्बे होंट थे, लोह की काउ (हल्लका दांता ) जैसे दांत थे, सूर्य-कैंची जैसी जिव्हां थी, कंदरा पर्वत की गुफा जैसा मुख था, हलके लक्कड जैसी बाँकी हडवची-जवाडे थे, फूटा कडीला या खड्डे के जैसे मध्य में शल्य पडे हुने कठोर खराब कपोल गाल थे, मृदंग के आकार स्कन्ध था, द्वार के कमाडों के पटके जैसा हृदय (छाती) था, धातु की मटी को धमने के कोठे समान भुजा थी, निसा धोर के हाथे {जैसी हाथ की हथेलियों थी, निसा के अग्र जैसी हाथ की अंगुलियों थी, सीप के पुट पिक के शस्त्र रखने की थेली जैसे लटकते स्तन थे, लोहार के कोठार जैमी गोल पृष्ट थी, जैसी ऊंडी डूंठी थी, शिखा जैसे सेकना पूट था, सांड के वृषण के संस्थान दोनों वृषण (मुद्दे) जैसे नख थे, नापानी की कुंडी Jain Education International For Personal & Private Use Only 4986- कामदेव श्रावक का द्वितीय अध्ययन www.jainelibrary.org
SR No.600255
Book TitleAgam 07 Ang 07 Upasak Dshang Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages170
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_upasakdasha
File Size18 MB
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