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________________ सहायक मुनिमंडल अपनी छत्ती ऋद्धि का त्याग कर हैद्रागद सीकन्द्राबाद में दीक्षा धारक बालब्रह्मचारी पण्डित मुनि श्री अमोलक ऋषिजी के शिष्यवर्य ज्ञानानंदी श्री देव ऋषिणी. वैय्याहृत्यी श्री राज ऋषिजी. स्त्री श्री उदय ऋषिजी और विद्याविलासी श्री मोहन ऋषिजी इन चारों मुनिवरोंने गुरु आज्ञाका बहुमानसे स्वीकार कर आहार पानी आदि सुखोपचार का संयोग मिला. दो महर का व्याख्यान, संगीसे वार्तालाप, कार्य दक्षता व समाधि भाव से साव दिया जिस से ही यह महा कार्य इतनी शीघ्रता से लेखक पूर्ण सके. इस लिये इन कार्य उक्त मुनिवरों का भी बडा उपकार है. 學 Jain Education International सुखदेव सहाय ज्वाला प्रसाद और भी सहायदाता पंजाब देश पावन करता पूज्य श्री सोहनलालजी, महात्मा श्री मात्र मुनिबी, शतावधानी श्री रत्नचन्द्रजी, तपस्वीजी माणकचन्दनी, कबीबर श्री अमी ऋषिजी, सुबक्ता श्री दौलत ऋषिजी. पं. श्री नथमलजी, पं. श्री जोरावर मळजी. कार्बवर श्री नानचन्द्रजी. प्रवर्तिनी सतीजी श्री पार्वतीजी. गुणज्ञसतीजी श्री रंभाजी- धोराजी सर्वज्ञ भंडार, भीना सरवाले कनीरामजी बहादरमलजी बाँठीया, डी भंडार, कुचेरा भंडार, इत्यादिक की तरफ से शास्त्रों व सम्मति द्वारा इस कार्य को बहुत सहायता मिली है. इस लिये इम का भी बहुत उपकार मानते हैं. For Personal & Private Use Only सुखदेव सहाय ज्वालाप्रसाद www.jainelibrary.org
SR No.600255
Book TitleAgam 07 Ang 07 Upasak Dshang Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages170
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_upasakdasha
File Size18 MB
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