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________________ सत्र - पामोक्खाओ तेरस्स भारियाओहोत्था अहीण जाव मुरूवाओं॥३॥ तस्मण महासयस रेवइय मारियाए कोलेहरिधाओ अट्ठहिरण्णकोडीओ अट्ठक्या दसगोसाहस्सिएणं वएणं होत्था,अबसेसाणं दुवालसम्ण मारियाणं कोलहस्यिा एगमेगा. हिरण्णकोडीओ एगमे.. गेयवय दसगोसाहस्सिएणं वएण होत्था ॥४॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी-- समोसड्डे, परिसागिंग्गया जहा आणंदो तहाणिमच्छड्, तहेव सावमधम्म पडियजइ. वरं अट्ठहिरण्णकोडीओ संकासाओ उच्चारेति, अटुवया, रेवती पामोक्खाणं तेरस्स भारियाहिं अवशेष मेहुणविहं पञ्चक्खाइ, सेसं सर्व तहेव. इमचनं एयारुवं अभिग्गह मायावत् सुरूपवती थी॥ ३ ॥ उप महा शतक की रेवती भार्या अपने पिता के घर से आठ हिरण्य क्रीडा और आठ वर्ग गाइयों के लाइ थी, काकी की बागहमार्याओं अपने २ पिता के घर से एकेक द हिरवा की, और एक वर्ग माइयों का लाइ थी ॥४॥ उस काल उस समय में श्रमण भगवन् महावीर पधारे, परिषदा आइ, जिस प्रकार आनंद गाथापति भगवन्त के दर्शनार्थ गम का उस ही प्रकार महा. शतक गाथापति भी दर्शनार्थ गया. और उस ही प्रकार श्राक्कका धर्म बारहनत रूप धारन किया, जिस में इतना विशेष-स्वयं की आठ हिरण्य क्रोड का निध्यान, आठ हिरण्य क्रोड व्यापार की, आला हिरण्य क्रोड का पाथरा. यो चौबीस हिरण्य कोड का द्रव्य और आठ वर्ग गाइयों के. स्खकर सभी के 48 मतमांग-उपाशक दशा भूत्र 421 48-महाशतक श्रावक का अष्टप अध्ययने 4 CA-चा Jain Education Interational For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600255
Book TitleAgam 07 Ang 07 Upasak Dshang Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages170
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_upasakdasha
File Size18 MB
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