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________________ mimmmmmmmmmmmmmmmm भगवओ महावीरस तहत्ति एयमटुं विणएणं पडिसुणेतिः ॥१२॥ तएणं से कुंडकोलिए। समणं मगवं महावीरं वंदति णमंसतिरचा पसिणाइ पुछंतिरत्ता अट्ट मादियंतिरचा जामेव दिसि पाउम्भूया तामेत्रदिसि पडिगए॥१३॥सामी बहिया जणवयं विहारं विहरंति ॥११॥ तएणं तस्स कुंडकोलियस्स बहुहिंसीलन्वय जाव भावेमाणस्स बौदस संवराति वितिकता, पारसमंसंवश्छरस्स अंतरा वट्टमाणस्स अण्णया कयाइ जहा कामदेवो T +8 अनुवादक-बालबमचारी मुनिश्री अबोसन पिणी: E निप्रन्पीयोंने श्रपत्र भगवंत महावीर स्वामी का पचन तहति इसमकार उक कथनको सविनय प्रमानकिया nब कुंडकोलिक श्रावक श्रमण भगवंत महावीरस्वामीको चंदना नमस्कार किया प्रश्नपूणे, उत्तर पारन किये, फिर जिस दिशा से आयाया उसदिशा पीछागया॥१३॥ अन्यदा श्रमण भगवंत महावीरस्वामीने भी माहिर विहार किया ॥ १४ ॥ सब कुंडकोलिक श्रावक बहुत सील प्रत पोषधोपवासादि करनी करते है चौदा वर्गबतीत हुवे, सब पनरहवा वर्ष बरतते आधीरात्रि व्यतीत हुने धर्म जागरणा जागते हुने कामदेव के जैसा विचार हुवा, यावत् प्रातःकाल ज्ञातीयादी को भोजन करा बडे पुत्र को घर का भार सुपरन राती को पुत्रको पूछकर पौषधशाला में जाकर दर्भयारे पर बैठकर महावीर स्वामी प्रार्म विभुदन शेती से पासता इस विचरने लगा. इग्यारे श्रावक की प्रतिमा का सम्पर कार में आराधन किया, एक -राणायादुर लामा मुखदेवसानी नालासादमी. ma Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600255
Book TitleAgam 07 Ang 07 Upasak Dshang Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages170
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_upasakdasha
File Size18 MB
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