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उप्पतित्ता एत्थणं पातो वे सरिया आगासातो उत्तिटुंति, तेणं इमाति दाहि णुत्तराति जंबद्दीव भागाति तिरियं करेति २ ता पुरथिम पञ्चस्थिमाई जंवृद्दीवस भागाति तामवरातातो पञ्चत्यिम पुरथिमाई जम्बूद्दीव भागाइं तिरियं करेति २ ता दाहिणुत्तराति जंबूद्दीव भागाइं तामेवरातातो तेण इमाइं दाहिणुत्तराति पुरथिम पञ्चत्थिमातिं जंबुद्दीव भागाइं तिरिय करेति २ ता जंबूद्दीवरस २ पाईण पडीणायताए तंचेव, एत्थणं पातो दुवे सूरिया आगासातो उत्तिटुंति ॥ इति वीय पाहुडस्स
पढमं पाहुडं सम्मत्तं ॥ २ ॥ १ ॥ * कून, वायव्यन, नैऋत्यकन व ईशानकून. इन चारकून में इस रत्नप्रभा पृथ्वी के समरमणीय भूमिभाग से ८०० योजन ऊंचे जावे तब दो सूर्य प्रकाश करते हैं. व अ.काश में उदित होते हैं. ये दोनों में एक सूर्य दक्षिण दिशा के विभाग में मारे और दादा इत्तविभाग में प्रकाशकरे तब जम्बूद्वीप के पूर्व पश्चिम विभाग में रात्रि होते. और जब पूर्वपश्चिम विभाग में प्रकाशकरे तब उत्तर दक्षिण विभाग रात्रि होवे. इस तरह वे दोनों मूर्य जम्बूदीप क दक्षिण उत्तर विभाग में रात्रि व पूर्वपश्चिम विभाग
प्रकाश करते हुवे जम्बूद्वीप की पूर्वपश्चिम रेखा वगैरह प्रभात करते हुवे दोनों सूर्य आकाश में प्रकाश 'चि.करते है. यह दूसरा पाहुडा का पहिला अंतर. पाहुडा हुवा. ॥ २॥१॥ . . .
सप्तदश-चंद्र प्रज्ञप्ति सूत्र षष्ट-वराज
हुडे का पहिला अंतर पाहुडा 498
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