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सप्तदश चद्रं प्रज्ञप्ति सूत्र षष्ठ-पाङ्ग 48
आहितेति वदेजा ॥ एगे एवं मासु ॥ १ ॥ एगे पुण एव माइंसु ता विसम चउरसं संठाण संठियाणं मंडलं संठिति आहितेति वदेजा एगे एव माहं सु ॥ २ ॥ एगे पुण एव माहंस ता समचउकोण संठियाणं मंडल संठिति आहितेति वदेजा, एगे एव माहंस॥३॥एग पण एव माहंस ताधिसम चउकोणं संठियाणं मंडलसंठिति आहितेति वदेजा एगे एवं मासु ॥ ४ ॥ एग पुगएवमासु तासचावाल संठियाणं मंडल संठिति आहितेति वदज्जा. एगे एक माइंस ॥ ५॥ एगे पुण एक माहंसु ता विसम चक्कवाल संठियाणं मंडल संठिति आहितेति वदेजा, एगे एवमासु ॥ ६॥ एगे पुण एवमासु ता चक्काद्ध चकवाल संठियाणं मंडलं संठिति आहितेति वदेजा, एगे
4+8+ पहिला पाहुई का सातवा अंतर पाहुडा
है २ कितनेक ऐपा कहते हैं कि विषमचतुख संस्थान वाला पंडल है ३ कितनेक एसा कहते हैं कि समचतुष्कौन के संस्थान वाला मंडल है ४ कितनेक ऐसा कहते हैं कि विषम चतुष्कोन संस्थान वाला मंडल है ५ कितनेक ऐसा हैं कि समचक्रवाल के संस्थान वाला यंडल है ६ किलनेक ऐमा कहते हैं विषम चक्रवाल संस्थान वाला मंडल है कितनेक ऐमा कहते हैं कि अर्धचक्रवाल के संस्थान वाला मंडल रहा हुवा है. और कितनेक ऐमा कहते हैं कि छत्र के आकारवाला मंडले है.. इस तरह अन्य भिन्न २ मतों से एक ही सु की प्ररूपणा की. इस में अन्तिम प्ररूपणा
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