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चंदस्सा सरस्सवा ले परस्थिमैणं आवरित्तागं पचात्यमणं वितिवयति, तयाणं पुरथिमेण चं सुरे उबन्द प्रति पञ्चस्थिमेणं गहु, जयाणं गहु आगग्छमाणेवा जाव परियारमाणेवा चंदस्वास्साबले पञ्चायणं आवरिता पुररियमणं विसिवयति तयाणं पञ्चत्यिमेश चंदे मरे । उबदलीत. पु. त्यनेजरहु, एक एएण अभिलावेगं दाहिणणं आवरि. त्ताण उत्तरणं वितियइ उत्तरगं आवरिनाणं उन्तरपञ्चत्थिमेश विनिविड, दाहिग
पञ्चत्यिमेणं आशरत्ताण उत्तरपुरगत्थमणं चितिवयइ, उत्तरपलायनणं आवरिताणं हवा चंद्र अथवा सूर्य को लेश्या (कारण) को पूर्व में से आवरण कर पश्चिम दिशा में जाता है तब पूर्वदिशा में चंद्र सर्य दखावे और पश्चिम दिशा में राहु देखावे, जब राहु जाता हुना, आता हुना. यावत परिचारणा करत हु । चंद्र या सूर्म की लेइपा का पश्चिर से ढक कर पूर्व में जाता है तब पश्चिम चंद्र मूर्ग देखा है और पूर्व में राह रहता है. ऐसे ही दक्षिण दिशा में सूर्य की ढककर उत्तर दिशा में राहु जाता है तर दक्षिण दिशा में चंद्र सूर्य दीखता है और उत्तर दिशा में राहु रहना है. मे ही उत्त दिशा में चंद्र सूर्य के ढक कर दक्षिण दिशा में जब गहु जाता है नब उत्तर दिशा में चंद्रमा मू
दीखता है और दक्षिण दिशा में राहु रहता है. जब चंद्रपा मूर्य की लेश्या को दक्षिण पूर्व 12( अग्निकून ) में से ढक कर उत्तर पश्चिम (वायव्यकून ) में राहु जाता है तब आमकू। में चंद्रमा ।
अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अग्लक ऋषिजी
• पकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवमहायजी ज्वाला माजी +
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