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________________ अनुवादक-बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजीक चरति ता तस्स मंडलस्त परिक्खेवस्स अट्ठारसतीसे भागे सते गच्छति मंडले सयसहस्सेणं अट्ठाणउति - एयसएहिं छेत्ता ॥ ३ ॥ ता एगमेगेणं गंणक्खत्तेणं केवतियाति भागा सयातिं गच्छति ता जंजमंडल उवसंकमित्ता चार देने से ९१५ मंडल दो सूर्य एक युग में करते है. इस तरह अर्ध पंडल १८३० होवे, एक युग में ११८३० अर्ध मंडल होवे, तो दो अर्ध मंडल कितने दिन में होवे ? १८३० को दुगन करने से ३६६० हो। इस को १८३० का भाग देने से दो दिन होवे शेष कुच्छ रहे नहीं, इससे दो दिन में दो अर्ध मंडल सूर्य चलता है.॥ ३ ॥ अहो भगवन् ! एक २ मुहुर्न में नक्षत्र कितः सो माग चलता है ? अहो गौतम ! नक्षत्र जिन २ मंडल पर चलते है उन २ मंडल के १००८०० भाग में से १८३५ भाग एक महून में चलते इस तरह चलने से एक युग में कितने मंडल चले ? एक युग में १८३० अहोर त्रि है. इस के मुहूर्त करने को १३० से. गुनना जिस से ५४९०० होवे. इस मुहर्त को १८३५ के भाग से गुनते १०.७४१५०० भाग होते. इम के मंडल करने के लिये १०९८०० से भाग देना जिस से ९१७॥ मंडल होवे शेष कुच्छ रहे नहीं इतना दो नक्षत्र चले. इस के अर्ध मंडल करने को उक्त संख्या को दुगुना करना जिस मे १८३५ अध मंडल होवे. उक्त १८३५ अर्ध मंडल १८३० दिन में होघे अब दो अर्ध मंडल कितने दिन में चले साब कहते हैं. १८३० को दुगुने करने से ३६६० हुवे, इस को १८३५ का भाग देने से एक दिन व शेष • प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सूखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादनं ० Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600254
Book TitleAgam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_chandrapragnapti
File Size8 MB
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