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________________ + मंडलं उवसंकमित्ता चार चरनि, हा तस्स मंडलस्स परिक्खेवस्स सरस्म अट्रसट्री ___भागसयाति गच्छत मंडलं सतसहस्मणं अट्राण उतिएय सएह छेत्ता ॥२॥ता एग- १ मेगेणं महत्तेणं मरे केवतियाति भागंसयाई गच्छति? ताजंज मंडलं उवसंकमित्ता चारं १५४९०० होवे. यह ५४९०० को १७६८ स गुनते ९७०६३२०० भाग हावे. इम भाग को १०९८०० से हभाग दने से ८८४ मंडल होबे. इस से दो चंद्र मिलकर एक युग में ८८४ मंडल चले. इम के अर्ध मंडल १७६८ होते हैं. १८३० दिन में १७२८ अर्ध मंडल होवे तो दो अर्ध मंडल में कितने दिन होवे ? १८३० को दुगुना करने से ३६६० होवे इस को १७६८ का भाग देने दो आये शेष १२४ रहे इसके मुहूर्न करन को ३० से गुणना जिस से ३७२० होवे. इस को १७६८ का भाग देने से दो मुहूर्न आये#शेष १८४ रहे इस के २२१ के भाग करने को २२१ से गुगना जिम से ४.९६४ हो इस के १७३८ कामी भाग देन से २३ भाग २२१ ये हो. इम से दो अर्ध मंडल चलन में चंद्र को दो दिन दो मुहूर्त व २३१ भाग २२१ ये लगे. ॥२॥ अहो भगवन् ! एक २ भाग में सूर्य कितने मो भाग चलता है ? अहो गौतम! जिस २ मंडलप सर्य चलता है उस २ मंडल की परिधि को १०९८०. भाग करे उस में से १८३० भाग एक मुहूर्त में चलता हैं. इस तरह मूर्य एक युग में किसने मंडल करता है ? एक युग में १८३० अहो रात्रि है इस के मुहूर्त करने को को १८३० को ३० गुना करने से ५४५०० होवे इम के १८३० भाग से गुनने से १००४६७००० भाग होवे. इस को मंडल के १०९८०० से भान श चंद्र प्रज्ञाप्त सूत्र षष्ठ-उपाङ्ग 448 2. पनरहवा पाहुडा 4189425 + mmmmmmmmmmmmmmmm Jain Education Interational For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600254
Book TitleAgam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_chandrapragnapti
File Size8 MB
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