________________
सूत्र
अर्थ
4 अनुादक बालब्रह्मचारीमुनि श्री अमोलक ऋषिजी
भाग
चरंति, एतावता वाहिर चउदसे पच्चत्थिमिले अडमंडले समत्ते भवति ॥ १४ ॥ एवं खलु चंदेणं मासेणं चंदे परस्सं चउप्पण्णाई दुवे सत्तसट्टी भागाई चंदे अप्पणोचणं पडिचरति, तेरस सससट्टी भागाई जाति चंदे, अप्पणो देव परस्सचिणं पडिचरइ बेतालीसं से प्रवेश करते चउदये मंडलपर ३४ भाग ६७ या १८ चुरणिये भाग ३९ या चले उतने में चंद्र मास संपूर्ण होवे ॥ १४ ॥ यों एक चंद्र मास में चंद्रा एक नक्षत्र व दो अर्ध मंडल और तीसरे अर्ध मंडल के ८ ६७ ये १८ भाग ६४ ये इतना चलता हैं. यह कौन से २ क्षेत्र में संपूर्ण करे ? यह नक्षत्र मास संपूर्ण होते व चंद्र नीकलते चउदहवे अर्ध मंडल के २६ भाग ६७ या ( आकर नक्षत्र संपूर्ण कर. क्यों कि एक युग में नक्षत्र मास ६७ हैं और १७६८ अर्धमंडल चंद्र के हैं. १७६८ को ६५ से भाग देने २६ अर्व मंडल आत्रे शेष २६ भाग ६७ ये रहे. एक नक्षत्र २६ मंडल है, और २७ वे अर्ध मंडल में २३ भाग ६७ या चंद्र चलकर नक्षत्र मास संपूर्ण करे. इस से एक अयन के १४ अर्थ डल निकालने दूसरी अयन के १२ अर्ध मंडल २३ भाग ३७ या चले. परंतु पहिले ९४ वे अर्थ मंडल पर २३ भाग ३७ या कहा है उस का क्या कारन ? दूसरी अय का दूसर अर्ध मंडल से प्रारंभ होता है. इस मे तेरवे अर्ध मंडल में एक मिलाने से १४ वा अर्थ मंडल के २६ भाग ६७ ये मे एक नक्षत्र मास संपूर्ण हवा, तत्पश्चात् १४२ भाग ६७ ये १८ भाग ६१ या चलकर चंद्र मास पूर्ण हावे. १०८ भाग ६७ या परक्षेत्र से व अपना क्षेत्र में चंद्र चाल चलता है क्यार्क ईशान कून मे से नीकलता हुवा चंद्र १४ वे अर्ध मंडल पर २४| भाग ६७ या अग्निकून में
मास
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
• प्रकाशक- राजा बहादुर लाला सुखदेव महायजी ज्वालाप्रसादाजी
३५०
www.jainelibrary.org