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सूत्र
अर्थ
431+ सरचंद्र मसूत्र - 488+
अपशोचेत्रविणं चिण्हपाडे चरति ॥ ९ ॥ अवराणि खलुताई दुवे तेरस भागाति जाति चंदे केणति असामण्णाति सयमेव पविहिता चारं चरति कतरराणि खलु ताइदुबे तेरस भागति जात्र चरं चरति ? इमाणि खलु दुबे तेरस भागातिं जात्र परिट्टिता चारं चरति तंजा समंतरे चैव मंडले सव्य बाहिरे चत्र मंडळे एतागि खलु नाणि दुबे तेरस भागातिं जातिं चंदे केइ अलामण्णाति सयंमंत्र पविताचारं चरति, एतावता दोचे के नैऋत्य कून में बक मंडल और ईशान कून में एक मंडल जानना ॥ ९ ॥ दूसरे नक्षत्र अर्ध मास में दो तेरह अर्थात् २६ भाग ६७ ये चंद्र असामान्यपा से प्रवेश कर चलना है. अ भगवन् ! यह किस प्रकार दो तेरह भाग स्वयमेत्र प्रवेश कर चंद्र असामान्याता से चलता है ? अहो गौतम ! सत्र से आभ्यंतर मंडल व सब से बाह्य मंडल इस तरह दो तेरह भाग ३७ या स्वयमेव चंद्र प्रवेश कर असामान्य पना से चरता हैं. क्योंकि एक युग में ६७ नक्षत्र मास है, और चंद्र मंडल १७६८ है इस के ६७ का भाग देने से २० मंडल होने शेर २५ भाग ३७ ये रहे इस से एक चंद्र की अपेक्षाने चदहवे मंडल पर चंद्र अयन हे वे शेष १२ मंडळ अनंतर मंडल के २६ भाग ६७ ये जाकर नक्षत्र मास पूर्ण होवे नक्षत्र मास की आदिने चंद्र बाहिर के मंडल से प्रवेश करता हुआ तेरहवे मंडल से नीकल कर चन्द मंडल के २६ भाग ६७ ये में नक्षत्र मास संपूर्ण होवे इस प्रकर दूसरी चंद्र अयन नक्षत्र मालकी अपेक्षासे
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* g* तेरहवा पाहूडा
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