________________
14. चरति ता. पक्खत्ता अदमासणं. चंदे । कतिः मंडलाई चरति ता तेरस है मंडलाई चरंति. तेरस सत्तमट्टी भाग मंडलस्स ॥ ४ ॥ तदा अवराति खलु
दुव अट्ट भागाति जाति चंदे केणइ आसाम गाति सयमेव पइट्ठिया चार चरति ॥ कयरा खलु ताई दुवे अट्ठभागाइं जाति चंदे केणनि जाव पविलित्ता
चारं चरति ता इमतिं दुबे अट्ठभागाउ जाति चदे केणइ अमामण्णगाई चार चरति चलता है. - अहो भगान् ! नक्षत्र के अर्थ मास में चंद्र किनने मंडल चलता है ? अहो गौतम : १३ मंडल चंद्र चलता है क्योंकि एक यु। में चंद्र १७६ अंडर चलता है और नक्षत्र के अर्ध पास १३४ हैं। इम मे १७६८ को १३४ का भाग देने से इतने होते हैं ॥ ४ ॥ उस मम: अभ्य दो ८ भाग ३१ ये हैं कि जिस को अमामान्यपग मे सायपरमोश कर चंद्र चाल चलता है. अहो गवन् ! वेदो ८ भाग ३१. ये कौनसे हैं जिम को प्रवेश कर चंद्र च चलना हैं ? अहं गतम! यहां दो आठ भाग अर्थात्
- यहां सोलह मंडल का पाठ प्रायः 'दृष्टीगोचर होता है, परंतु यह अशुद्ध मालुम होता है. क्यों कि एक युग में चंद्र १७६८ मंडल चलता है और एक युग में सूर्य अर्ध स.२० है. इस से १७६८ को १२० का भाग देने से १४ मडल होते हैं. और यह पाठ सूर्य मंडल पर भी सकता है क्यों कि एक युग में सूर्य मंडल १८३० हैं और सूर्य अर्थ मास १२० है इस से १५ मंडल पूण करंक सोलहये मड़ल पर चाल चलता है. तत्व केवली गम्य,
4. अनुवादक बालबचारी मुनि श्री अमा.पाजा
. काशक गजामहादरलाला मुम्वदेवमहायजा ज्वालामा
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org