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________________ १ अनुवादक-बालवाचारी मुनिश्री अजक अपिजा. कये आउ चंदे केणं गक्खत्तेणं ? ता मूलेणं मूलरससणं छ मुहुत्ता अट्ठावीस वावट्ठी भागा वावट्ठी भागं च सत्त सट्ठिया छेत्ता वीस चुणिया . भागा सेसा ॥ तं समयं चणं सूरे केणं ता उत्तराहिं असाढाहिं उत्तराणं असा ढाणं । चरिम समए ॥२३॥ ता एएमिण पचण्ड प्वच्छर णं पंचमं हेमंत किय आउहि चंदे केग ? ता कत्तियाहिं, कत्तियाणं अट्रारस मुहता छत्तीसं च बावट्टी भागा मुहत्तरस हो मगवन् ? इन पांच संवत्सर में चौथा हेमंत काल संबंधी आउटी कब चैठती है और चंद्र किस नक्षत्र साथ योग करता है ? अहो गौतम ! माघदी १३ को मूल नक्षत्र के ११ तारे कहे हैं, इस से इस के अनेक वचन में मूल नक्षत्र के ६ मुर्त ५२ भाग १२ ये २. भग ६७ ये शेष रहे, तर उस के प्रथम समयमें आठशी आउटी का प्रथम समय बैठे. अहा भगरन ! मममय मर्य किम नक्षत्र स थ योग करता है? अहो गौतम! उत्तगपढा नक्षत्र माथ योग करता है, यह चरम समय में योग करके भमिजिन नक्षत्र के प्रथम समय में युगी आदिमे आयी आउट का प्रथम हा इन का गणित गप प्रास्टा अनुस र जनना. ॥ २३ ॥ अहो भगवन् ! इन पांच संपत्ता में पांचवां हेमंत काल संधी दशवी आउटी कर बैठती है और चंद्र किम नक्षत्र माय योग करता है ? भडा गीत ! उस रूपय कात्तका नक्षत्र मह वदी १० को बैठत है, इस क १८ मुहर्न ३६ भाग १२ये ६ चरणिय भग ६७ य शेष रहे हव इसके प्रथम समय में दशवी आउटी बैठती है. अहो भगवन् ! उस समय सूर्य किस नक्षत्र साथ .प्रकाशक राजाबहादुर लाला. मुखदवमहायजी वानरममादजी. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600254
Book TitleAgam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_chandrapragnapti
File Size8 MB
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