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सूत्र
4 - चंद्रमा सूत्रपा
देखा ? ता तिणि तयासी रातिदियमते इक्कवीमं मुहुत्ते अट्ठारसय पावट्टीभागे मुहत्तस्स रातिरियग्गेणं अहितेति देना ॥ तीसेणं केवतिते मुहतो आहितेति देखा ? ता एकदम मुहुत्तसहस्साइं पंश्चंय एक्कारस मुहुत्तस्ते अट्ठरस्य वाट्ठी भांगे मूहुत्तस्म महत्तगोणं अ.हितेति वदेजा ॥ ६ ॥ ता केवलिएणं जुगे रातिंदिय गेणं आहितति वदेजा ? ता सत्तरस एकाणउति सर्तिदियसते एगुणवसिंच मुहुचे सत्तावणंच बडी भगं मुहुरुस्त बावट्ठी भागंच सत्तलट्ठिया छेता पणपण्ण
लिये कहते हैं. एक अभिवर्धन मास ९५९मुहूर्त का है, इम को अपूर्णांक में लाने के लिये ०५१ को ३२ से गुना करके १० बढ न. १२९४३२+१५९४७५ भाग ३२ य रहे. मैने ही युग के १८३० दिन को भी ६२ य भ ग करने का १८३० को ३० से सुनकर ३२ गुर/ १८३०३५४२००२२=२४०८०० इन को ६९४७५ मे भग देने मे ५७ पास आये और शेष १३७२५. उक दस्य त को ४५७५ से छड़ करने से ६९४७६ के ३ आये और १३७२५ के १३ आये इस तरह एक युग के अभिनमा ५७ होते हैं. ॥ ॥ ! उक्त पांचों संवत्सर मीलकर एक युग होवे. वो इस तरह इन पांचों की
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दिन
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बारहवा पाहुडा
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