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________________ 4 + marwanamam -उपाङ्ग समय-चंद्र पात्रा छब्बीसैच मुहुत्ता छन्त्रीसंच वावटी भागा मुहुत्तस्स वावट्ठी भार्ग सत्तप्तट्टिया भई उत्ता चउपन्न चुणिया भागा सेसा ॥ तं समयं चणं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोगं जोतेति ? ता पुण्णधसुहि, पुण्णवणं सोलस मुहत्ता अट्ठय वावट्ठी भागा मुहत्तस्स २८७ वासठिये होवे इसे प्रथम धृवराशि ६८०७६० का भाग देना. इस से माम नहीं होता है इस से इस के मुहूर्त करने की १२ से भाग देना, जिस से १०६२५ मुहूर्त और शेष ५० भाग रहे. इस में आईी नक्षत्र तक १०२३१ मुहूर्न होते हैं इस से इतना मुहूर्न उक्त संख्या में से से याद करते पुनर्वसु नक्षत्र ३८५ मुहूर्त ५. भाग ६२ ये कार्य की. साथ योग करे. यह पुर्नमु नक्षत्र १ मुहूर्त का है जिसमें से ३८६ मुहर्त ५. भाग ६२ ये बाद करते २१६ मुहर्न १२ भाग ६२ का सूर्य नक्षत्र शेष रहा. अब सूर्य नक्षत्र का चंद्र नक्षत्र करने को २१६ के ६२ ये भाम करना और - १२ इम में बदर. २१६४६२+१२-१३४०४ हावे. और पुनर्वसु नक्षत्र चंद्रपा की साथ ४५ ग करे इसे स ४५ से गुना करना जिम से १३४०५४४५६०३१८० की राशि हुई. पुनर्वसु नक्षत्र सूर्य की साय ६०३ मुहूर्न योग करता हैं इस से उक्त राशि को ६०३ में भाग देने से १००० भाग ६२ सये आये शेष १८० बढे, इस के ६.ये भाग करने को ६० से गुणा करना और ६०३ से भाग देना. १९८०+६७+५:३%3D२. शाम ६७ ये होवे अब १००० भाम ६२ ये का मुहूर्न १६ और शेष आठ.भ.गी । ammarwarividiowwwdmaamanawww 422 इग्यारहवा पाहुदा 1948 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600254
Book TitleAgam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherRaja Bahaddurlal Sukhdevsahayji Jwalaprasadji Johari
Publication Year
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_chandrapragnapti
File Size8 MB
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