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सूत्र
42 अनुावदक- बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋष
तंजा कत्तिया, रोहिणी, जाब असिलेसा, ॥ ता महादियाणं सत्तणवत्ता दाहिण दारिया पण्णत्ता तंजहा महा जात्र बिसाहा ॥ ता अणुराहादियाणं सन्तणक्खत्ता अवरदारिया पण्णत्ता तंजहा अणुराहा जात्र सवणे ॥ ३ ॥ ता धणिट्ठा दियाणं सत्तणक्खत्ता उत्तर दारिया पण्णत्ता धणिट्ठा जाव भरणि एगे एवं माहंसु ॥ ४ ॥ २ ॥ तत्थ जेते एक माहंसु महादियाणं सत्त णक्खत्ता पुव्वदारिया तेणं एव माहंनु तंजहा महा जाव विसाहा पुत्रदारिया ॥ ता अणुराहादियाणं सत्तनक्खत्ता दाहिण दारिया प० तंजहा अणुराहा जाव सवणे ॥ ता धणिट्ठादियाणं सत्तनक्ता अवदारिया पण्णत्ता तंजहा
आर्द्रा ५ पुनर्वसु ६ पुण्य और ७ अश्लेषा. ये सात नक्षत्र पुर्वद्वार वाले हैं. मघादि सात नक्षत्र दक्षिण दूर वाले हैं जिन के नाम-१२ पूर्वाफाल्गुनी ३ उत्तराफाल्गुनी ४ हस्त ५ चित्रा ६ स्वाति और ७ विशाखा. अनुराधादि मात नक्षत्र पश्चिम द्वार वाले हैं जिन के नान - १ अनुराधा २ ज्येष्टा ३ मूत्र ४ पूर्वाषाढा ५ उत्तपापाढा ६ अभिनित और ७ श्रवण बांन्टादि सात नक्षत्र उत्तर द्वार वाले हैं जिन के नाम- १ धनिष्टा २ शतभिषा ३ पूर्वाभद्राद ४ उत्तराभाद्रपद १ रेवती ६ अवि और ७ भरणी. ॥ २ ॥ जो ऐसा कहते हैं कि मघादि सात नक्षत्र पूर्वद्वार वाले हैं उन का कथन इस तरह हैं १ मघा २ पूर्वाफाल्गुनी ३ उत्तराफाल्गुनी ४ हस्त ५ चित्रा ६ स्वाति और ७ विशाखा. अनुराधादि सात नक्षत्र
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• प्रकाशक - राज बहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी ●
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