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ता कहते जे.तिमिदारा आहितेति वदेजा ? तत्थ खलु इमातो पंचमडिवत्तीओ पत्ताओ नंजहा-तत्य एगे एवं माहंस ता कत्तियादियाणं सत्तणक्खत्ता पुव्बदारिया । पणत्ता एगे एवं माहसु॥॥एगे पुण एव माहेसु ता महादियाणं सत्तणखत्ता पुवदारिया पण्णत्ता एगे एव माईस ।। २ ॥ एगे पण एव माहंस ता धणिट्रादिया सत्तणदखत्ता पुवदारया पण्णत्ता, एम एव माईसु ॥ ३ ॥ एग पुण एवं माहमु अस्सिणियादिया सत्तनक्षत्ता पव्वदोरया पणत्ता, एगे एवं माहंस॥४॥एगे पूण एक माहंसु भरणिया दियाण सत्तगखत्ता पुव्वदास्थिा पण्णत्ता एगे एव माहंसु ॥ ५ ॥ १ ॥ तत्थ जे एवं माहं ! ता कत्तिय दिया गं सत्च गक्खत्ता पुबदारया पण्णत्ता तेणं एव माहं नु
अब इक्कीस पर पहुडा माहते हैं-अहो भगवन् ! ज्योतिष द्वार कैसे कहे ? अहो शिष्य ! इस में पांच पडिवृत्तिों कही है. कोई ऐसा कहते हैं कि कृत्तहादि सात नक्षत्र पूर्व द्वार वाले हैं, २ के ऐसा कह हैं कि मयादि सात नक्षत्र पूर्वद्वार वाले हैं ३ कोई ऐसा कहते है कि धनिष्टादि ति नक्षत्र से
पूर्वद्वार वाले हैं ४ कोई ना कहते हैं कि अश्विनी आदि सात नक्षत्र पूर्वद्वार वाले ॐ आर ई ऐसा कहते है के णसभ आद रात नक्षत्र पूर्व द्वार वाले हैं ॥ ॥ कृत्तिकादि सात विधान पू. दार वाले ऐसा जो कहते हैं उनका कथन इस तरह हैं कि. १. कृत्तिका रोहिणी ३.मृगशर
4848दशवा पाहुड का इक्क सवा अनर पाहूडा 480
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