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सप्तदश-चंद्र प्रज्ञप्ती सूत्रष-उसङ्ग 4.
गोत्ते ॥ १५ ॥ असिलेसा मंडवायणस्स गोत्ते ॥ १६ ॥ महा पिंगलायणसगोत्ते, ॥ १७ ॥ पुवाफग्गुणी गोवलायणसगोत्ते ॥ १८ ॥ उत्तराफग्गुणी कासवगोत्ते ॥ १९ ॥ हत्था कोसियगोत्ते ॥ २० ॥ चित्तो दभियणगत्तो ॥२१॥ साति चामरत्थत्तेणस्स गोत्ते ॥ २२ ॥ विसाहा अंगायणस्स गोत्ते ॥ २३ ॥ अणुराहा णक्खत्ते गोलवायणस्स गोत्ते॥२४॥जेट्ठा तिगिच्छायणस्सगोत्ते ॥२५॥ मूले पवायणस्सगोत्ते॥२६॥पव्वासाढाणक्खत्ते विसियायणस्सगोत्ते पण्णत्ते॥२७॥उत्तरासा
ढा वग्यावचस्सगोत्तेपण्णत्ते।८ २।इति दसम पाहुडस्स सोलसम पाहुड सम्मत्तं।१०।१६॥ मृगशर नक्षत्र का भारद गोत्र १३ आर्दा नक्षत्रका लोहियाणत गोत्र १४ पुनर्वसु नक्षत्र का वासिष्ठ गोत्र १५ पुष्य नक्षत्र का उपचायणस गोत्र २६ अश्लेषा नक्षत्र का मंडवायस गोत्र १७ मघा का पिंगला यण गोत्र, १८ पूर्वा फाल्गुनीका गोवलायणस गोत्र, १९ उत्तरा फाल्गुनी का काश्यप गोत्र, २० हस्तका कोलिय गोत्र, २१चित्रका दभियायण गोत्र, २२ स्वाति नक्षत्रका चामर छत्र गोत्र, २३ विशाखाका अंगायणस गोत्र, २४ अनुराधा का गोवालयणस गोत्र २५ ज्येष्टा का तिगच्छायणस गोत्र २६ मूल का कात्यायणस गोत्र, २७ पूर्वाषाढाका विषायणस गोत्र और २८ उत्तराषाढाका वाघवचायणास गोत्र, यह दशवा पाहुडेका सोलवा अंतर पाहुडा संपूर्ण हुवा ॥10॥ १६ ॥
48Hदशा पाहुड का सोलहवा अंतर पाहुडा 48.
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